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प्रतीकात्मक चित्र। जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। जब आप सोते हैं तब बस सोईए, कुछ और करने की कोशिश मत कीजिए। एक सुंदर कहानी है। कई सालों तक वे सात ऋषि, जिन्हें हम सप्तर्षि कहते हैं, आदियोगी के साथ रह कर साधना करते रहे, सीखते रहे तथा पूर्ण रूप से उनसे…
दुनिया की बहुत सारी संस्कृतियों में यह एक सामान्य परंपरा है कि वो धूप या अगरबत्ती जला कर पूजा करते हैं। साथ ही, वे हमें ये भी बता रहे हैं कि आजकल अधिकतर धूप या अगरबत्तियां रासायनिक होने की वजह से नुकसान भी करती हैं। दरअसल, कुछ पदार्थ ऐसे होते…
प्रतीकात्मक चित्र। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। ब्रह्मचर्य का मतलब है, जीवन की कुदरती अवस्था। सवाल यह भी है कि ब्रह्मचारी कैसे होते हैं तो वे बस वैसे ही रहते हैं, जैसे जीवन है, जैसे सृष्टिकर्ता ने आपको बनाया है। सवाल यह भी है कि ब्रह्मचर्य के मार्ग पर क्या…

रहस्य : किसने और क्यों की है, ‘सृष्टि की रचना’

चित्र : ब्रह्मांड। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। क्या आप सृष्टि की रचना के पीछे का विज्ञान या कहें रहस्य जानते हैं। दुनियाभर के धर्म अपनी-अपनी व्याख्याएं देते रहे हैं, जिन्हें आम तौर पर एक खास मकसद से सुनाया जाता है। जरूरी नहीं है कि उसे सही आंकड़ों के रूप…

संस्कृति : ‘धर्म और विज्ञान’ की नजरिए से, कौन हैं ‘कुल देवता’

चित्र : भारत में कुल देवता या देवी, किसी परिवार के पूज्य आरााध्य होते हैं। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। कुल देवता किसी एक ख़ास परिवार से जुड़े लोगों के लिए ही कैसे काम करते हैं? उन्हें उस विशेष परिवार से कैसे जोड़ा जाता है? यह दो प्रश्न सदियों से…

चित्त : ‘मन का सबसे भीतरी हिस्सा’, यहां जानें ये किससे जुड़ता है

प्रतीकात्मक चित्र। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। मन का अगला आयाम चित्त कहलाता है। चित्त का मतलब हुआ विशुद्ध प्रज्ञा व चेतना, जो स्मृतियों से पूरी तरह से बेदाग हो। यहां कोई स्मृति नहीं होती है। हर तरह की बातें कही गई हैं, ‘ईश्वर बड़ा दयालु है, ईश्वर प्रेम है,…

अस्तित्व : मां दुर्गा के ‘महिषासुर मर्दिनी रूप में’ छिपा है ये रहस्य

मां दुर्गा महिषासुर मर्दिनी के रूप में। नटराज शिव मंदिर, चिदंबरम, तमिलनाडू। चित्र सौजन्य : रिचर्ड मोरटेल/विकीपीडिया देवी को महिषासुर मर्दिनी क्यों कहा जाता है और इस प्रतीकात्मकता का हमारे जीवन में क्या महत्व है? इस बारे में कभी न कभी कहीं ना कहीं किसी अवसर पर आपने एक बार…

मूलाधार चक्र : खुद के वजूद को महसूस करने का विकल्प

चित्र : मूलाधार चक्र शरीर के सबसे निचले हिस्से में होता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। मूलाधार चक्र हमारे शरीर में सबसे निचला चक्र है। जैसे किसी इमारत की बुनियाद सबसे महत्वपूर्ण होती है, उसी तरह मूलाधार सबसे महत्वपूर्ण चक्र होता है। सद्गुरू बताते हैं कि अगर…

कल्पवृक्ष : मन को स्थिर करने का सबसे आसान उपाय

सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यात्मिक गुरु। योग में, एक अच्छी तरह से स्थापित, स्थिर मन को कल्पवृक्ष कहते हैं। कल्पवृक्ष यानी हर इच्छा को पूरा करने वाला वृक्ष। अगर आप अपने शरीर, मन, भावनाओं और ऊर्जा को एक ही दिशा में लगाते हैं तो निर्माण करने की आप की योग्यता अद्भुत…

व्यसन : नशा करना ‘मंदबुद्धि बनाता है’, आध्यात्मिक नहीं

प्रतीकात्मक चित्र। सद्गुरु जग्गी वासुदेव, आध्यत्मिक गुरु। कहते हैं कि न्यूयॉर्क शहर में 70 प्रतिशत लोग नियमित रूप से शराब का सेवन करते हैं और 20 प्रतिशत अत्यधिक शराब पीते हैं। न्यूयॉर्क शहर के लोगों का ऐसा हाल होते हुए भी हर कोई वहां जाना चाहता है। कोई भी व्यक्ति,…

आध्यात्मिक विज्ञान : यहां है ‘हम क्या हैं, क्या थे और क्या होंगे’ का जवाब

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। विज्ञान हमेशा उन चीज़ों को समझने की कोशिश करता रहता है जो समझ से बाहर होती हैं, उन चीज़ों को सुलझाने की कोशिश करता है जो सुलझाई नहीं जा सकतीं, और उन चीज़ों को जानने की कोशिश करता है जो जानी नहीं जा…

अपेक्षा : कौन करता है, ‘बिना शर्त सभी से प्रेम’

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। आत्मा बिना शर्त प्रेम करती है। वो कोई भेदभाव, कोई पक्षपात, और कोई अलगाव नहीं जानती। प्रभु हमारी आत्मा से बिना शर्त प्रेम करते हैं। बदले में हम भी उस प्रेम को प्रतिबिंबित कर सकते हैं, और अपने मिलने वालों में बिना किसी…

शाकाहार : एकाग्र, शांत और स्थिरता के साथ ‘आध्यात्मिक विकास’

प्रतीकात्मक चित्र। संत राजिन्दर सिंह, आध्यात्मिक गुरु। पिछले दशक में, हमने वैज्ञानिक ज्ञान का एक ऐसा भारी विस्फोट देखा है, जिसने कहीं ज़्यादा ज्ञान हम तक पहुंचा दिया है। अनेक वैज्ञानिकों और डॉक्टरों की समर्पित खोजों व शोधों के परिणामस्वरूप, आज हम अपने शरीर के बारे में, और अच्छे स्वास्थ्य…

श्रीमद्भागवत गीता : ईश्वर के इस ज्ञान में छिपा है ‘सफलता का रहस्य’

चित्र : महाभारत युद्ध के दौरान कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन युद्ध की शुरूआत के लिए शंख की ध्वनि का उद्घोष करते हुए। धर्म हठधर्मिता का विषय नहीं है, बल्कि किसी भी स्थिति में, चाहे वह कितना ही कठिन क्यों न हो, सर्वोत्तम को संभव करने का विषय है।…

नमन : कलयुग में ‘हनुमान जी की मौजूदगी’ इसीलिए है जरूरी

चित्र : भगवान हनुमान जी। सनातन धर्म में, हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं, जिनकी शक्ति की महिमा अपरंपार है। वो श्रीराम भक्त हैं। वो आज्ञाकारी पुत्र हैं। दुनिया की सभी सात्विक बातें उनमें समाहित हैं। वो देवों के देव महादेव का भी अंश हैं। वो सब कुछ हैं। वो…