कृषि मंत्री ने दिया बड़ा संकेत। – फोटो : AMAR UJALA
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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को लोकसभा में मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करेंगी। इसे लेकर सभी तरह की तैयारियों को आखिरी रूप दिया जा रहा है। हर बार की तरह इस बार के बजट में भी क्या कुछ खास होगा, इस पर सभी की नजरें टिकी हुई हैं। विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि वित्त वर्ष 2024-25 के आम बजट में पीएम अन्नदाता संरक्षण अभियान (पीएम-आशा) योजना में बदलाव देखने को मिल सकता है। इस योजना के तहत चुनिंदा दलहन और तिलहन की 100 फीसदी सीधी खरीद के जरिए या मूल्य में अंतर चुकाकर एमएसपी पक्का किया जा सकता है। इसका संकेत केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान भी दे चुके हैं। हाल में चौहान ने कहा था कि हमारी सरकार का संकल्प है कि सभी राज्यों से अरहर, उड़द और मसूर की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर किया जाए।
दरअसल, केंद्र सरकार ने कुछ वर्ष पहले दलहन और तिलहन किसानों को एमएसपी देने के उद्देश्य से पीएम-आशा योजना शुरू की थी। इसमें किसान एक निश्चित मात्रा तक ही अपनी उपज ही बेच सकता है। पहले केंद्र सरकार इस योजना के जरिए किसी सीजन में हुई वास्तविक फसल का 25 फीसदी खरीदने के लिए बाध्य थी। लेकिन राज्य सरकार को 25 फीसदी से अधिक उपज खरीदना होती थी, तो सरकार को अपने पास से रकम लगानी पड़ती थी। बाद में केंद्र सरकार ने यह सीमा बढ़ाकर 40 फीसदी कर दी गई। फिर केंद्र सरकार ने 2023-24 में अरहर, उड़द और मसूर के लिए 40 फीसदी खरीद की सीमा हटा ली थी।
सूत्रों का कहना है कि योजना में बदलाव के बाद अगर बाजार में कीमत एमएसपी से कम हुईं, तो दलहन और तिलहन किसानों की पूरी उपज एमएसपी पर खरीदी जाएगी। राज्यों का दायरा भी बढ़ाया जा सकता है। वहीं, योजना में बदलाव के बाद बाजार में दाम घटने पर किसानों की दलहन और तिलहन उपज दाम के अंतर के बराबर मुआवजा पाने की हकदार हो जाएगी, जो सरकार उन्हें देगी।
सीएसीपी भी दे चुका है सरकार को सलाह
हर साल 20 से ज्यादा फसलों के एमएसपी तय करने वाले कृषि लागत और मूल्य आयोग (सीएसीपी) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में दलहन की सरकारी खरीद पर कोई बंदिश नहीं लगाने और तिलहन के दाम एमएसपी से नीचे जाने पर उस अंतर की भरपाई करने की सलाह दी है। सीएसीपी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि मूल्य समर्थन योजना के तहत अरहर, उड़द और मसूर की खरीद के लिए 40 फीसदी की जो सीमा 2023-24 में हटा ली गई थी, उसे अगले 2 से 3 सीजन के लिए बढ़ाना चाहिए ताकि किसानों के लिए उपज का उचित मूल्य पक्का हो सके।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पिछले कुछ दशक में खाद्य तेलों की घरेलू मांग पूरी करने के लिए भारत की आयात पर निर्भरता बढ़ गई है। देश की 60 फीसदी जरूरत आयात से पूरी की जाती है। आयात पर निर्भरता कम करने के लिए सिंचित क्षेत्रों में तिलहन की खेती को बढ़ावा देने और पैदावार में सुधार लाने और तिलहन उत्पादकों के लिए लाभकारी मूल्य सुनिश्चित करने के जरूरत है। आयोग ने खाद्य तेलों के लिए राष्ट्रीय मिशन का दायरा सरसों, सोयाबीन, सूरजमुखी, मूंगफली आदि तक बढ़ाने की सिफारिश की है।
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