विस्तार अरविंद केजरीवाल ने इशारा किया है कि वे 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों के गठबंधन का हिस्सा नहीं होंगे। आम आदमी पार्टी के जनप्रतिनिधियों के पहले राष्ट्रीय कन्वेंशन में उन्होंने कहा कि उन्हें गठबंधन की भाषा समझ में नहीं आती। कई बार उनसे पूछा जाता है कि वे अगले चुनाव में किस गठबंधन का हिस्सा होंगे। लेकिन उन्हें किसी गठबंधन की बात समझ में नहीं आती। उन्होंने कहा कि यदि जनता के बीच गठबंधन हो जाएगा तो किसी भी सरकार को हटाना संभव है। इसके लिए उन्होंने 130 करोड़ जनता के साथ आने की बात कही।
उन्होंने अपने पूरे भाषण में केवल भाजपा, पीएम नरेंद्र मोदी और केंद्र की नीतियों को ही निशाने पर रखा। उनकी यह पोस्चरिंग अकेले दम पर भाजपा को टक्कर देने की उनकी सोच को प्रदर्शित करती है। लेकिन क्या इससे 2024 लोकसभा चुनाव में विपक्षी दलों का गठबंधन बनाने में जुटे नीतीश कुमार की कोशिशों को झटका नहीं लगा है? क्या वे अकेले भाजपा को रोकने में सक्षम हैं?
भाजपा-पीएम पर किया हमला
आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने अपने आधे घंटे के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा पर जोरदार हमला किया। अपनी पार्टी के नेताओं मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर लगे भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बीच उन्होंने दावा किया कि उनकी पार्टी कट्टर ईमानदार है। उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की कि उनकी पार्टी के नेताओं पर कार्रवाई केवल आम आदमी पार्टी की बढ़ती राजनीतिक ताकत को रोकने के लिए किया जा रहा है।
उन्होंने भाजपा पर विपक्षी दलों के 285 विधायकों को खरीदने के लिए भारी मात्रा में पैसा खर्च करने का आरोप भी लगाया। उन्होंने पीएम के उस बयान पर भी हमला किया जिसमें उन्होंने मुफ्त की योजनाओं को रेवड़ी बताया था। केजरीवाल ने कहा कि जनता को मुफ्त योजनाओं का लाभ देना उनको आर्थिक तौर पर सशक्त बनाना है। देश को दुनिया में नंबर एक की महाशक्ति बनाने के लिए जनता को मजबूत करना होगा।
झूठी दावेदारी कर लोगों को भ्रमित करते हैं केजरीवाल: भाजपा
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला ने अमर उजाला से कहा कि केजरीवाल 2014 से ही भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर टक्कर देने का स्वप्न देख रहे हैं। इसके लिए उनकी जुबानी खर्च के अलावा कोई आंकड़ा उनका साथ देता नहीं दिखाई पड़ता। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी को लोकसभा चुनाव में केवल 0.44 प्रतिशत वोट मिले, जबकि जनसंघ को अपने पहले ही चुनाव में राष्ट्रीय स्तर पर 3.6 प्रतिशत के करीब वोट मिले थे। आज भी जब भाजपा पूरे देश में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है, अरविंद केजरीवाल केवल दिल्ली और पंजाब से बाहर नहीं निकल सके हैं। इसके बाद भी यदि वे राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा को टक्कर देने की बात कहते हैं तो यह हास्यास्पद है।
प्रेम शुक्ला ने कहा कि इसी साल के शुरूआत में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी को केवल गोवा की दो सीटों पर सफलता मिली, जबकि शुरूआत में ही वे यह दावा करके चल रहे थे कि वे गोवा और उत्तराखंड में सरकार बनाने जा रहे हैं। ज्यादातर राज्यों में उनके उम्मीदवारों ने जमानत जब्त कराने का रिकॉर्ड बनाया। चुनाव बाद उनकी पार्टी के ज्यादातर नेताओं ने उनका साथ छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि भाजपा को टक्कर देने की उनकी बात भी इसी तरह का खोखला दावा है जिस पर जनता विश्वास नहीं करती।
वेतन क्यों नहीं दे पा रहे केजरीवाल?
भाजपा नेता ने कहा कि केंद्र सरकार स्वयं गरीब वर्गों को हर तरह के लाभ पहुंचाने की विभिन्न योजनाओं को संचालित करती है, लेकिन गरीब जनता के हित के नाम पर अयोग्य लोगों को लाभ पहुंचाकर केवल वोट बैंक संभालने की राजनीति नहीं की जानी चाहिए। जब प्रधानमंत्री फ्री की योजनाओं को रेवड़ी बताते हैं तो उनका आशय सरकारी सहायता के दुरुपयोग को रोकने के लिए ही है।
उन्होंने कहा कि यदि केजरीवाल का आर्थिक मॉडल इतना ही सही है तो उन्हें बताना चाहिए कि पंजाब और दिल्ली सरकार अपने कर्मचारियों को वेतन तक क्यों नहीं दे पा रहे हैं? उन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल की कलई खुल चुकी है और यह अब कामयाब नहीं होने वाली।
केजरीवाल ने कौन सा विकास का काम किया: कांग्रेस
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष मुदित अग्रवाल ने कहा कि यदि राष्ट्रीय स्तर पर कोई दल भाजपा को चुनौती देने की स्थिति में है तो वह केवल कांग्रेस ही हो सकती है। विपक्षी दलों में केवल कांग्रेस ही है जो हर राज्य में अपनी उपस्थिति और काडर रखती है, उसे ही लोकसभा चुनाव में अभी भी 14-15 करोड़ वोट मिलते हैं, जबकि कोई भी दूसरा दल एक-दो राज्यों से ज्यादा में अपनी उपस्थिति नहीं रखता।
उन्होंने कहा कि सबको साथ लेकर चलने के लिए उदार हृदय और बड़ी रणनीति के साथ काम किया जाना चाहिए जिसके लिए कांग्रेस तैयार दिखती है। जबकि अरविंद केजरीवाल जैसे नेता अभी से अपनी अलग ढपली बजाकर भाजपा को लाभ पहुंचाने का काम करते दिखाई पड़ रहे हैं। इससे यह भी साबित होता है कि केजरीवाल केवल अपना राजनीतिक लाभ देख रहे हैं और राष्ट्रीय स्तर पर भाजपा का विकल्प पेश करने में उनकी कोई रुचि नहीं है।
मुदित अग्रवाल ने कहा कि अरविंद केजरीवाल को बताना चाहिए कि उन्होंने अपने आठ सालों के शासन काल में विकास के कौन से काम किये हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल ने दिल्ली में एक भी किलोमीटर सड़क नहीं बनाई है, किसी भी एरिया में नए स्कूल-अस्पताल नहीं बने हैं। उन्होंने केवल पुराने अस्पतालों-स्कूलों में नए रंग-रोगन लगाकर उनके नाम पर अपना प्रचार करने का काम किया है। इसे ही वे अपना मॉडल बताते रहे हैं। उन्होंने कहा कि केजरीवाल केवल बड़े दावे कर उनका प्रचार कर राजनीतिक लाभ उठाना चाहते हैं, जबकि राष्ट्रीय स्तर पर किसी समस्या के लिए उनके पास कोई मॉडल नहीं है।
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