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Nag Ashwin In ShuklaPaksh: इसी साल या अगले साल तक शर्तिया बदल जाएगा पूरा सिनेमा, ये एआई क्रांति का समय है..

चिकित्सकों के परिवार में जन्मे नाग अश्विन का मन डॉक्टरी की पढ़ाई में नहीं लगा तो घरवालों ने उन्हें सिनेमा सीखने अमेरिका भेज दिया। भारत लौटकर उन्होंने प्रख्यात निर्देशक शेकर कम्मुला की कुछ दिनों तक शागिर्दी की और फिर 2015 में अपनी पहली फिल्म बनाई ‘येवाडे सुब्रमण्यम’। नाग अश्विन ने अपनी पिछली फिल्म ‘महानटी’ (2018) में राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता और और इन दिनों महाभारत की कहानी का नए जमाने से संगम कराने वाली फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ की मेकिंग को लेकर चर्चा में हैं। उनसे ये खास बातचीत की ‘अमर उजाला’ के सलाहकार संपादक पंकज शुक्ल ने।

बीते चार साल की मेहनत का नतीजा क्या एहसास दे रहा है? एहसास तो बहुत संतोषजनक है। इसमें सिर्फ मेरी ही नहीं, बल्कि इसमें काम करने वालों की, कलाकारों की, निर्माताओं की सबकी मेहनत लगी है। और, इस मेहनत का फल हम सिर्फ बॉक्स ऑफिस कलेक्शन्स में नहीं देख रहे। हमें लोगों का प्यार मिल रहा है, वह सबसे बड़ी बात है। आमतौर पर लोग फिल्म की सफलता पर ‘बधाई हो’ जैसा बोलते हैं, लेकिन इस फिल्म को देखकर लोग हमें ‘थैंक यू’ बोल रहे हैं। कह रहे हैं, धन्यवाद, ये फिल्म बनाने के लिए।

अमिताभ बच्चन ने फिल्म में छह हजार साल की आयु वाला आठ फिट ऊंचा अश्वत्थामा का चरित्र निभाया है, कैसे मनाया उनको आपने इस चरित्र के लिए? उनकी हां पाना आसान नहीं रहा। लेकिन इस चरित्र के लिए मेरी पहली पसंद बच्चन सर ही थे और उनकी न सुनने से पहले मैंने कोई दूसरा विकल्प भी इस चरित्र के लिए नहीं सोचा था। मैं दो-तीन बार गया उनके पास। कहानी सुनाई। फिल्म की परिकल्पना को लेकर जो मैंने तस्वीरे रची थीं, वे दिखाईं और चर्चा की इस पटकथा के बारे में। उन्होंने मुझ पर आखिरकार भरोसा किया और हम निकले पड़े अपनी यात्रा पर।

फिल्म के मुंबई में हुए कार्यक्रम में अमिताभ बच्चन ने उन दिनों को याद किया और कहा कि मुझे लगा पता नहीं क्या ही फूंक कर आया है ये.. अमिताभ बच्चन को और कमल हासन को फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ में लाना चुनौतीपूर्ण तो था लेकिन जैसे जैसे ये कलाकार अपने किरदार स्वीकारते गए, ये चुनौतियां खत्म होती गईं। बच्चन सर, कमल हासन सर, प्रभास, दीपिका सबने अपने अपने चरित्रों के सामने शूटिंग के समय आत्मसमर्पण किया और अपना सौ फीसदी इन किरदारों के लिए दिया। ये सब देश के प्रमुख सितारे हैं और इनको भरोसा दिलाना वाकई मुश्किल काम रहा क्योंकि ये एक प्रयोगात्मक फिल्म भी है।

फिल्म ‘कल्कि 2898 एडी’ की पहली कड़ी में अश्वत्थामा को आपने दिखा दिया, हनुमान भी अर्जुन के रथ पर दिख ही जाते हैं, कहानी कल्कि की है तो क्या बाकी पांच चिरंजीवी भी परदे पर दिखने वाले हैं, क्योंकि कथा तो यही है.. अभी के लिए तो नहीं सर। पर, कल्कि है तो ये आखिरी युग है। कलियुग है। इन सब चिरंजीवी का भी एक क्लाइमेक्स होना चाहिए। जैसा आपने कहा तो कहानी यही है कि जब कल्कि का अवतार होगा तो सभी चिरंजीवी दुनिया के सामने आ जाएंगे। यही आखिरी युग है तो इन लोगों की कथा का भी एक अंत तो होना ही चाहिए। ये फिल्म के अगले हिस्से में तो नहीं होने जा रहा लेकिन कभी तो होगा।

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