न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sun, 30 Jun 2024 10:44 PM IST
नए कानूनों को लेकर प्रदेशभर में 60 हजार से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। उन्हें बदलावों के संबंध में बताया गया है। इसके अतिरिक्त सॉफ्टवेयर में किस तरह से एंट्री की जानी है, साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाने हैं, इन सभी बिंदुओं के बारे में भी पुलिसकर्मियों को जानकारी दी गई है। मंत्रालय – फोटो : अमर उजाला
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देश में सोमवार 1 जुलाई से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जगह भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), क्रिमिनल प्रोसिजर कोड (सीआरपीसी) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और एविडेंस एक्ट की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम (बीएसए) लागू हो गया। तीनों नए कानूनों के लागू होने को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस ने पूरी तैयारी कर ली है। प्रदेश के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों का कहना है कि इन तीनों कानूनों का उद्देश्य विभिन्न अपराधों और उनकी सजाओं को परिभाषित कर देश में आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलना है। नए कानून लागू होने से भारत की न्याय प्रणाली आईपीसी के तहत अंग्रेजों द्वारा बनाए गए औपनिवेशिक कानूनों से मुक्त हो जाएगी।
इस संबंध में रविवार शाम पुलिस मुख्यालय भोपाल में प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई इसमें एडीजी लॉ एंड ऑर्डर जयदीप प्रसाद ने विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि ये कानून दंड नहीं बल्कि न्याय केंद्रित है। नए आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन को लेकर मध्य प्रदेश पुलिस ने भी तैयारी कर ली है। सोमवार को प्रदेश के सभी पुलिस थाना क्षेत्रों और जिला मुख्यालय स्तर पर कार्यक्रम आयोजित कर नए कानूनों का क्रियान्वयन किया जाएगा। जिले के कार्यक्रम में वहां के पुलिस अधीक्षक, जनप्रतिनिधि सहित जिले के बुद्धिजीवियों को आमंत्रित किया जाएगा। कुछ स्थानों पर पुलिसकर्मियों ने ढोल-नगाड़े से भी स्वागत की तैयारी की। थाना क्षेत्र में किसी भी उपयुक्त जगह पर कार्यक्रम होगा। इसमें सेवानिवृत पुलिस अधिकारियों, महिलाओं, बुजुर्गों और स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को आमंत्रित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान सभी उपस्थितजन को नए कानूनों के बारे में जागरूक किया जाएगा।
60 हजार पुलिस अधिकारी-कर्मचारी प्रशिक्षित
नए कानूनों को लेकर प्रदेशभर में 60 हजार से अधिक पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया है। उन्हें बदलावों के संबंध में बताया गया है। इसके अतिरिक्त सॉफ्टवेयर में किस तरह से एंट्री की जानी है, साक्ष्य कैसे एकत्र किए जाने हैं, इन सभी बिंदुओं के बारे में भी पुलिसकर्मियों को जानकारी दी गई है। प्रदेश पुलिस ने 31 हजार से अधिक विवेचकों को प्रशिक्षित किया है। इसके साथ ही सीसीटीएनएस में भी नए कानूनों से संबंधित बदलाव कर लिए गए हैं, जो 30 जून की रात 12 बजे से प्रभावी हो चुके हैं। सभी जिलों में क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम (सीसीटीएनएस) का संचालन करने वाले पुलिस अधिकारी-कर्मचारियों को भी बताया गया है कि वह दैनिक रिपोर्ट सीसीटीएनएस में किस तरह अंकित करें।
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के लिए विशेष प्रावधान
नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों के लिए सख्त सजा के प्रावधान किए गए हैं। प्रस्तावित भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 में पहला अध्याय अब महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध से संबंधित सजा के प्रावधानों से संंबंधित है। इन प्रावधानों के अनुसार जहां बच्चों से अपराध करवाना व उन्हें आपराधिक कृत्य में शामिल करना दंडनीय अपराध होगा वहीं नाबालिग बच्चों की खरीद-फरोख्त जघन्य अपराधों में शामिल की जाएगी। नाबालिग से गैंगरेप किए जाने पर आजीवन कारावास या मृत्युदंड का प्रावधान है। नए कानूनों के अनुसार पीड़ित का अभिभावक की उपस्थिति में ही बयान दर्ज किया जा सकेगा। इसी प्रकार नए कानूनों में महिला अपराधों के संबंध में अत्यंत सख्ती बरती गई है।
सामूहिक दुष्कर्म पर सख्त सजा
इसके तहत महिला से गैंगरेप में 20 साल की सजा और आजीवन कारावास, यौन संबंध के लिए झूठे वादे करना या पहचान छिपाना भी अब अपराध होगा। साथ ही पीड़िता के घर पर महिला अधिकारी की मौजूदगी में ही बयान दर्ज करने का भी प्रावधान है। इस प्रकार नए कानून में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराध घटित करने वालों के खिलाफ विभिन्न धाराओं में कड़ी सजा के प्रावधान हैं।
नए कानूनों की खास बातें
अदालतों में पेश और स्वीकार्य साक्ष्य में इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड, ईमेल, सर्वर लॉग, कंप्यूटर, स्मार्टफोन, लैपटॉप, एसएमएस, वेबसाइट, स्थानीय साक्ष्य, मेल, उपकरणों के मैजेस को शामिल।
केस डायरी, एफआईआर, आरोप पत्र और फैसले सहित सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण किया जाएगा।
इलेक्ट्रॉनिक या डिजिटल रिकॉर्ड का कानूनी प्रभाव, वैधता और प्रवर्तनीयता कागजी रिकॉर्ड के समान ही होगी।
अब वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये भी न्यायालयों में पेशी हो सकेगी।
अब 60 दिन के भीतर आरोप तय होंगे और मुकदमा समाप्त होने के 45 दिन में निर्णय देना होगा।
सिविल सेवकों के खिलाफ मामलों में 120 दिन में निर्णय अनिवार्य होगा। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 के अंतर्गत मामलों की तय समय में जांच, सुनवाई और बहस पूरी होने के 30 दिन के भीतर फैसला देने का प्रावधान है।
इसी प्रकार छोटे और कम गंभीर मामलों के लिए समरी ट्रॉयल अनिवार्य होगा। नए कानूनों में पहली बार अपराध पर हिरासत अवधि कम रखी जाने व एक तिहाई सजा पूरी करने पर जमानत का प्रावधान है।
साथ ही किसी भी शिकायतकर्ता को 90 दिन में जांच रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा और गिरफ्तार व्यक्ति की जानकारी भी सार्वजनिक करनी होगी।
नए कानूनों से होने वाले लाभ
ई-एफआईआर के मामले में फरियादी को तीन दिन के भीतर थाने में पहुंचकर एफआईआर की कॉपी पर साइन करने होंगे।
नए बदलावों के तहत जीरो एफआईआर को कानूनी तौर पर अनिवार्य कर दिया है। फरियादी को एफआईआर, बयान से जुड़े दस्तावेज भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है।
फरियादी चाहे तो पुलिस द्वारा आरोपी से हुई पूछताछ के बिंदु भी ले सकता है।
यानी वे पेनड्राइव में अपने बयान की कॉपी ले सकेंगे। इस प्रकार नए कानूनों में आमजन को बहुत सारे लाभ प्रदान किए गए हैं।
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