हमारा देश आस्था और विश्वास का पर्याय है। यहां ऐसे कई हैरतंगेज पर्यटन स्थल हैं, जिनके अपने किस्से हैं जो कहीं न कहीं आस्था तो कहीं विश्वास से जुड़े हुए हैं। हैरतंगेज सफर की यात्रा करने वालों के लिए यह पर्यटन स्थल किसी सपने से कम नहीं।
आस्था का पहला उदाहरण है ओम बन्ना मंदिर जिसे लोग बुलेट बाबा का मंदिर भी कहते हैं। राजस्थान के पाली जिले में स्थित ये मंदिर शहर से 20 किमी दूर है। यह मंदिर दुनिया का एक मात्र बुलेट मंदिर है। कहते हैं कि 23 दिसंबर 1988 ओम सिंह राठौड़ नाम का एक व्यक्ति बुलेट मोटरसाइकिल पर अपनी ससुराल से गांव चोटिला जा रहा था, रास्ते में एक पेड़ से टकराने से उसका एक्सीडेंट हो गया और घटनास्थल पर ओम सिंह की मौत हो गई।
एक्सीडेंट के बाद पुलिस बुलेट मोटरसाइकिल को थाने ले गई। लेकिन, हैरत की बात तो तब हुई जब अगले दिन थाने में मोटरसाइकिल नहीं मिली और वह चलकर एक्सीडेंट वाले स्थान पर पहुंच गई। दूसरे दिन बुलेट मोटर साइकिल को फिर थाने पर लाया गया और जंजीरों से बांध दिया गया, लेकिन अगले दिन फिर से जंजीरों को तोड़ बुलेट मोटरसाइकिल घटनास्थल पर पहुंच गई। तभी से यह मोटर साइकिल आस्था का केंद्र बन गई और आज इसे गांव वाले ही नहीं बल्कि दूर-दूर से लोग यहां मन्नत मांगने आते हैं और उनकी मुराद पूरी भी होती हैं। ओम बन्ना मंदिर में इसी मोटरसाइकिल की पूजा की जाती है।
यहां देखी गई हैं उड़न तश्तरी
कोंगका दर्रा जिसे कोंगका ला भी कहते हैं, भारत के जम्मू व कश्मीर राज्य के लद्दाख क्षेत्र में है। यह एक पहाड़ी दर्रा है। हिमालय की छंग-चेम्नो शृंखला में मौजूद यह विशाल दर्रा भारत और चीन की सीमा पर पड़ता है। यह दोनों देशों के बीच सैन्य-विवाद का विषय बन चुका है। यह नो-मैन्स लैंड घोषित है। दोनों देश इस पर नजर रखते हैं, लेकिन कोई भी देश इस क्षेत्र में पेट्रॉलिंग नहीं करता है।
कई लोगों ने यह दावा भी किया है कि उन्होंने यहां यूएफओ यानी उड़न तश्तरी को देखा है। भारत और चीन दोनों ही देश को इस संबंध में जानकारी है और वे एक-दूसरे से सूचनाएं प्रदान करते हैं। यहां तक कि गूगल अर्थ ने भी इस तरह की घटनाओं का जिक्र किया है।
‘हिमालयन वंडर’ बस नाम ही काफी है
हिमालय के नजदीक लद्दाख में एक हैरतंगेज पहाड़ी है। कहा जाता है कि यह चुंबकीय गुणों से युक्त है, जिसे मैगनेटिक हिल भी कहते हैं। यदि यहां अपनी कार को सड़क किनारे पार्क करते हैं तो यह पहाड़ी की चोटी पर पहुंचकर न्यूट्रल हो जाती है। यह 20 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से नीचे की ओर अपने आप चलती है। यह एक सुपरनेचुरल घटना है और इसे स्थानीय लोग हिमालयन वंडर कहते हैं।
तो वहीं, मप्र के उज्जैन में एक मंदिर ऐसा भी है जहां काल भैरव की मूर्ति मदिरापान करती है इसीलिए यहां मंदिर में प्रसाद की जगह शराब अर्पित की जाती है। कहा जाता है कि काल भैरव नाथ उज्जैन के रक्षक हैं।
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