पिछले साल दुनिया के 15 करोड़ लोगों को खाना नसीब नहीं हुआ, साल दर साल यह आंकड़ा बढ़ रहा है यानी साल 2021 के अंत तक 69 करोड़ लोगों को भरपेट खाना नसीब नहीं होगा, और अब हालात इससे भी ज्यादा खराब होंगे।
संयुक्त राष्ट्र की ग्लोबल ह्यूमैनिटेरियन आउटलुक रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम के लाइव हंगर मैप में मौजूद 93 देशों के 957 मिलियन लोगों पर शोध से तैयार की गई, जिसमें भारत का पड़ोसी देश पाकिस्तान भी शामिल है। भूख का संकट झेलने वालों में दो-तिहाई आबादी सिर्फ 10 देशों में है। इनमें कांगो, अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, सूडान, नाइजीरिया, इथोपिया, दक्षिणी सूडान, जिम्बाब्वे और हैती है। जहां 1.33 लाख भूख से मौत की कगार पर पहुंचे थे, वे बुर्किना फासो, सूडान, यमन के हैं।
रिपोर्ट में कहा गया कि यदि इनमें करीब डेढ़ लाख लोग ऐसे थे, जो भुखमरी की वजह से मौत की कगार पर पहुंच गए थे। अगर उन्हें तत्काल खाना नहीं दिया गया होता, तो उनकी मौत निश्चित थी। इनमें ज्यादातर अफ्रीकी देश हैं या वे हैं जो गृहयुद्ध झेल रहे हैं।
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लोगों को भुखमरी की कगार पर पहुंचने के पीछे की एक बड़ी वजह महामारी भी रही है। साल 2019 में यह करीब 13 करोड़ थी। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने फूड क्राइसिस की ग्लोबल रिपोर्ट के हवाले से लिखा है कि दुनिया में अधिक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
इनमें उनकी संख्या ज्यादा है, जिन्हें तत्काल भोजन, पोषण और आजीविका सहायता की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि 21 वीं सदी में अकाल और भुखमरी का कोई स्थान नहीं है। हमें इसे हल करने के लिए भूख और संघर्ष से निपटना होगा।
दुनिया में वैश्विक भुखमरी से संबंधित तथ्य
- दुनिया के लगभग हर देश में पर्याप्त से अधिक अनाज का उत्पादन हो रहा है।
- दुनिया भर में लगभग 690 मिलियन लोग हर रात भूखे पेट सोते हैं।
- छोटे किसानों, चरवाहों और मछुआरों ने वैश्विक खाद्य आपूर्ति का लगभग 70 प्रतिशत उत्पादन किया है, फिर भी वे विशेष रूप से खाद्य असुरक्षा के लिए कमजोर हैं। गरीबी और भूख ग्रामीण आबादी के बीच तेजी से बढ़ रही है।
- संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि आर्थिक संघर्ष और अमीर लोगों द्वारा धन संचय भूख का सबसे बड़ा कारण है। ऐसे संघर्ष से प्रभावित देशों में 144 मिलियन वयस्क तो 122 मिलियन बच्चे रहते हैं।
- दुनिया भर में 05 वर्ष से कम आयु के अनुमानित 14 मिलियन बच्चे गंभीर कुपोषण से पीड़ित हैं, जिन्हें गंभीर रूप से बर्बाद करना भी कहा जाता है, फिर भी गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों में से केवल 25 प्रतिशत ही जीवन रक्षक उपचार तक पहुंच पाते हैं।
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वैश्विक भुखमरी में, दशकों की लगातार गिरावट के बाद, भूख से पीड़ित लोगों की संख्या तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है। जोकि भयावह है। दुनिया में 2030 तक भूख से प्रभावित लोगों की संख्या 840 मिलियन को पार कर जाएगी।
विश्व खाद्य कार्यक्रम के अनुसार, मानव निर्मित संघर्षों, जलवायु परिवर्तन और आर्थिक मंदी के कारण 135 मिलियन तीव्र भूख से पीड़ित हैं। कोविड-19 महामारी अब उस संख्या को दोगुना कर सकती है। यह वो समय है जब हमें वैश्विक खाद्य और कृषि प्रणाली के गहन बदलाव की जरूरत है अगर हम 690 मिलियन से अधिक लोगों को पोषण करने देना चाहते हैं, जो आज भूखे हैं तो 2050 तक दुनिया के अतिरिक्त 2 बिलियन लोगों की कृषि उत्पादकता को बढ़ाना होगा।
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