ओडिशा भारत का प्रमुख राज्य है, जहां का जगन्नाथपुरी धाम दुनियाभर में प्रसिद्ध है और इसी राज्य आता है ‘भद्रक’, यह एक प्रचीन शहर है। इस शहर का इतिहास 490 ई. से शुरू होता है।
भारत के प्राचीन शहरों में शुमार भद्रक वही स्थान है, जहां भगवान गौतम बुद्ध अपने जीवन के अंतिम वर्ष की यात्रा के दौरान रुके थे। उन्होंने इस जगह के लिए भविष्यवाणी भी की, उन्होंने कहा था कि बाढ़, अग्नि और विवाद से इस जगह का हमेशा नाता रहेगा।
यहां है रहस्यमयी मंदिर
ओडिशा के समृद्ध शाली इतिहास में भद्रक की प्रचीनता का अनुमान आसरा के विशाल टैंक से लगाया जा सकता है। सातवीं और आठवीं शताब्दी के दौरान यहां से बौद्ध अवशेष खडिपाद और सोलापुर में खोजे गए थे। तो वहीं, धमनगर के गांव कुपारी के पास सरिसा पहाड़ी में बौद्ध गुफाएं और बीरंचनारायण का रहस्यमयी मंदिर खोजे गए।
भद्रक में मुगलों ने भी राज किया था। इस बात का प्रमाण अबुल फजल की ऐतिहासिक किताब ‘आईना-ए-अकबरी’ से उजागर होता है। इसके बाद भद्रक ब्रिटिश हुकुमत के अधीन रहा। यह शहर ओडिशा के दो प्रशासनिक डिवीजनों में से एक था।
अंग्रेजों के खिलाफ हुई जब क्रांति
आधुनिक इतिहास में उल्लेख मिलता है कि भद्रक के लोगों ने भारत छो़ड़ो आंदोलन में मुख्य भूमिका निभाई थी। महान स्वतंत्रता सेनानी मुरलीधर पांडा भद्रक से ही थे, जिन्होंने अंग्रेजो के खिलाफ क्रांति का बिगुल बजाया था। लेकिन, इतिहास में यहां के लोगों द्वारा किया गया बलिदान बहुत कम पहचाना गया।
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