Press "Enter" to skip to content

धरोहर : दुनिया की ऐसी जगह जहां एक साथ देख सकते हैं 2000 मूर्तियां

भारतीय इतिहास के पन्नों को पलटें तो 9वीं शताब्दी में गुप्त काल में निर्मित दशावतार मंदिर के अवशेष और जैन मंदिर अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इन मंदिरों की स्थापत्य, वास्तु और शिल्प कौशल देखते ही बनता है।

उत्तरप्रदेश के ललितपुर जिले में है ‘देवगढ़’ जहां इन नायाब प्रतिमाओं को देख सकते हैं। यहां मौजूद दशावतार मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है। देवगढ़ में दुनिया का शायद अपनी तरह का एकमात्र संग्रह है, जहां लगभग 2000 मूर्तियां एक स्थान पर हैं।

तो वहीं, बेतवा नदी के देवगढ़ किले के पूर्वी छोर पर नहारघाटी की सैर यादगार अनुभव की तरह है। दशावतार मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा के पास नर नारायण तपस्या कर रहे दिखाए गए हैं और दूसरी मूर्ती में श्रीहरि एक नाग पर लेटे हैं।

देवगढ़ में सब मिला कर 300 के लगभग अभिलेख मिले हैं, जो 8वीं शती से लेकर 18वीं शती तक के हैं। इनमें ऋषभदेव की पुत्री ब्राह्मी द्वारा अंकित अठारह लिपियों का अभिलेख तो अद्वितीय ही है। चंदेल नरेशों के अभिलेख भी महत्त्वपूर्ण हैं।

मनौती के रूप में कराया जाता है खंबों का निर्माण

कहते हैं यहां कभी 40 जैन मंदिर थे और जिनमे से आज कुल 31 बचे हैं। शांतीनाथ जी का मंदिर इन सबमें उल्लेखनीय है। यहां मनौती के रूप में खंबों का निर्माण करवाए जाने की परंपरा रही है, जिन्हें ‘मनस्थम्भ’ कहा जाता है। ऐसे ही मनौती में शिलाखंड (आयपट्ट) दिए जाने की प्रथा भी थी।

यहां चट्टानों को काट कर बनाए गए गुफा मंदिर (सिद्ध की गुफा), राजघाटी, नहरघाटी आदि भी हैं। बेतवा नदी पहाड़ियों के नीचे बहती है और नीचे जाने के लिए पत्थरों को काट कर सीढ़ियां बनाई गई हैं। चट्टानों पर लगभग 8 वीं शताब्दी की ब्राहमी लिपि में कई जगह लेख भी खुदे हैं।

More from यात्राMore posts in यात्रा »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *