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सलाह : ‘आत्मबल’ के जरिए ऐसे पाएंं हर काम में सफलता

आत्मबल, जिसे अंग्रेजी में सेल्फ कॉन्फिडेंस कहते हैं। यह शारीरिक बल नहीं है, लेकिन शारीरिक बल से काफी शक्तिशाली होता है। रानी लक्ष्मीबाई, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग, गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई में उतना अधिक शारीरिक बल नहीं होगा जितना कि आत्मबल।

आत्मबल कैसे आताा है? यह प्रश्न हर उस व्यक्ति के मन में उठना लाजिमी है, जो इस आर्टिकल को पढ़ रहा है। आत्मबल विकसित होता है, आपके संघर्ष से, आपके विचारों से और आपके द्वारा आस-पास मौजूद घट रही पॉजिटिव और निगेटिव घटनाओं से लेकिन यह आप पर और सिर्फ आप पर ही तय करता है कि आप इनको किस तरह देखते हैं।

आत्मबल के द्वारा आप वो सब कुछ हासिल कर सकते हैं, जो आप पाना चाहते हैं। यानी जिसमें जितना आत्मबल होगा वह उतना अधिक आगे बढ़ जाएगा, जिसका साथ प्रकृति भी देती है। यह आत्मबल हर व्यक्ति में मौजूद होता है बस जरूरत है तो इसे जाग्रत करने की और जब यह जाग्रत हो जाता है। तो पोरबंदर के मोहन दास करमचंद्र गांधी दक्षिण अफ्रीका में एक घटना के बाद भारत में आकर महात्मा गांधी बन जाते हैं।

याद रखें कोई भी महापुरुष जन्म लेते साथ ही महापुरुषों की फेहरिस्त में शामिल नहीं हुआ। इसके पीछे उनकी लगन, मेहनत और ईमानदारी थी जो उन्हें आत्मबल यानी सेल्फ कॉन्फिडेंस से ही मिली थी।

फीचर फंडा: जिंदगी एक ही बार मिलती है, जहां कुछ ऐसा करें कि लोग आपको याद रखें या फिर इसी भागमभाग में कहीं गुम हो जाएं। नया और सबसे अलग आप तभी कर सकते हैं, जब आपमें आत्मबल यानी सेल्फ कॉन्फिडेंस होगा और यह विकिसित करना बेहद आसान है।

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