यकीन शब्द बहुत ही प्रभावशाली है। यह मन का ऐसा भाव है, जो आप खुद पर करें तो दुनिया का कठिन से कठिन काम आसानी से कर सकते हैं, लेकिन यह बेहद जरूरी है कि खुद पर यकीन करने के बाद कर्म भी करने होंगे। अगर यूं ही हाथ पर हाथ रख कर बैठ जाएं और आपका यकीन वो सब कुछ आपके सामने पेश करे, जो आप चाहते हैं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होगा।
साल 2012 में, मैं ग्वालियर में था। उस समय वहां मुझे एक ऐसी लड़की से मिलने का मौका मिला जो मूक-बधिर बच्चों के लिए कुछ करना चाहती थी। मैं जब उससे मिला तो मुझे उस पर यकीन था कि वह ऐसा कुछ कर सकती हैं। उस लड़की को भी खुद पर यकीन था कि वो ऐसा कुछ कर दिखाएगी और उसने कर दिखाया। वह मूक-बधिर बच्चों के लिए एनजीओ चलाती हैं।
कहने का मतलब यह है कि यह यकीन हमें आस-पास के लोगों में देखने को मिलता है, लेकिन हम खुद पर यकीन नहीं कर पाते हैं, इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है, हमारे भीतर का डर। यह डर हमनें खुद बनाया है और इसे और मजबूत बनाने की शरण भी हम ही दे रहे हैं। इस तरह हमारा खुद पर से यकीन हटता जाता है।
इस यकीन को कैसे बनाए रखें? तो यह बहुत आसान है। आप जब सुबह जागते हैं तो खुद पर विश्वास करते हुए कहिए मैं आज किसी पर भी गुस्सा नहीं होउंगा, या मैं आज ऐसा कोई काम करूंगा/करूंगी जिसके कारण मेरा यह दिन शानदार होगा। यकीन कीजिए ऐसा ही दिन आपके साथ घटित होगा और जब आप शाम में खुद का मुल्यांकन करेंगे, तो सुबह का यकीन आपके विश्वास को मजबूत कर देगा।
फीचर फंडा: यकीन शब्द ही खुद में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार है और जब यह यकीन आप खुद पर कर लेते हैं। तो मेरा यकीन कीजिए आपके साथ वो सब कुछ प्रकृति देने लगती है जो आप चाहते हैं। इसलिए खुद पर यकीन कीजिए, दुनिया आप पर यकीन करेगी।
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