मध्य प्रदेश का महेश्वर जिसे प्राचीन काल में महिष्मति के नाम से जाना जाता था, जो वर्तमान में खरगोन जिले में है। इंदौर से 91 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह शहर नर्मदा नदी के उत्तरी तट पर स्थित है। ऐतिहासिक नगर महेश्वर पर्यटन के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। महेश्वर का उल्लेख हिन्दू धार्मिक ग्रंथों रामायण और महाभारत में भी उल्लेख मिलता है।
महेश्वर शब्द का अर्थ है, ‘भगवान शिव का घर’ रामायण काल में महेश्वर को ‘माहिष्मती’ के नाम से जाना जाता था। उस समय महिष्मति हैहय वंश के बलशाली राजा सहस्रार्जुन की राजधानी हुआ करती था, जिसने लंका के राजा रावण को भी हराया था। महाभारत काल में यह शहर अनूप जनपद की राजधानी बनाया गया था। सहस्रार्जुन द्वारा ऋषि जमदग्नि को प्रताड़ित करने के कारण उनके पुत्र भगवान परशुराम ने सहस्त्रार्जुन का वध किया था। कालांतर में यह शहर होल्कर वंश की महारानी देवी अहिल्याबाई की राजधानी रहा।
महेश्वर जिसे ‘चोली-महेश्वर’ भी कहा जाता है। अहिल्याबाई ने 1767 में महेश्वर को अपनी राजधानी के रूप में चुना था। महिष्मति के और भी नाम थे जैसे मत्स्य, पलिश्वर तीर्थ, एक मुस्लिम ग्रंथ में इसे मुंह मोहर बताया है, जिसे पाली भाषा में महिष्मति कहा गया है।
यहां का ऐतिहासिक सुंदर किला होल्कर राजवंश तथा रानी अहिल्याबाई के शासन काल की गौरवगाथा का बयां करता प्रतीत होता है। यह घाट पूरी तरह से शिवमय दिखाई देता है।
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