बौद्ध धर्म की धार्मिक नगरी और मप्र में विश्व पर्यटन का केंद्र सांची स्तूप यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों के सूची में शामिल है। यह मप्र की राजधानी भोपाल से 52 किमी दूर स्थित है। सांची पर्यटन स्थल रायसेन जिले में आता है।
मौर्य सम्राट अशोक ने सांची में ‘स्तूप’ का निर्माण करवाया था। सभी स्तूप भगवान बुद्ध के लिए एक श्रद्धांजलि के रूप में अर्पित है। इन महान स्तूपों की खोज सन् 1818 में अंग्रेज पुरातत्विद् जनरल टेलर ने की थी। इसके बाद 1912-1920 के बीच सर जॉन मार्शल ने सांची स्तूपों का पुनरुद्धार करवाया।
मध्य शताब्दी 3 ईसा पूर्व और बाद में मौर्य सम्राट अशोक द्वारा स्तूप का चलन शुरू किया गया था। सांची स्तूप बड़े पैमाने पर एक बड़े पत्थर द्वारा बना है जिसमे चार रेलिंग द्वार है।
सांची की स्थापना के बाद से ही बौद्ध धर्म व उसकी शिक्षा के प्रचार-प्रसार में मौर्य काल के महान राजा अशोक का अधिक योगदान रहा। बुद्ध का संदेश दुनिया तक पहुंचाने के लिए उन्होंने एक सुनियोजित योजना के तहत कार्य आरंभ किया। सबसे पहले उन्होंने बौद्ध धर्म को राजकीय स्थान दिया।
चीनी यात्री ह्वेन सांग के यात्रा वृत्तांत में बुद्ध के बोध गया से सांची जाने का उल्लेख नहीं मिलता है। ये संभव है सांची की उज्जयिनी से नजदीक और पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण जाने वाले यात्रा मार्ग पर होना भी इसकी स्थापना की वजहों में एक रहा हो।
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