अमर उजाला ब्यूरो, मुंबई Published by: मेघा चौधरी Updated Tue, 20 Sep 2022 10:08 AM IST
पूजा भट्ट ने 17 साल की उम्र में अपने पिता महेश भट्ट के निर्देशन में फिल्म ‘डैडी’ से अभिनय के क्षेत्र में कदम रखा। ये फिल्म सीधे दूरदर्शन पर रिलीज हुई थी और उन दिनों उसे फिल्म को खूब पसंद किया गया था। कहानी थी एक ऐसे शराबी पिता की जो अपनी बच्ची को छोड़कर चला जाता है। पूजा पूछती हैं कि अगर पिता की जगह यही किरदार अगर मां का होता और वह शराब की लत लगने के बाद अपने बच्चे को छोड़कर चली जाती तो समाज की प्रतिक्रिया क्या होती? पूजा भट्ट इस शुक्रवार रिलीज हो रही फिल्म ‘चुप’ में नजर आने वाली हैं और इस फिल्म की रिलीज से पहले उन्होंने कई सवालों पर अपनी चुप्पी तोड़ी।
अपनी नई फिल्म ‘चुप- रिवेंज ऑफ द आर्टिस्ट’ के बारे में ‘अमर उजाला’ से बातचीत करते हुए पूजा भट्ट बताती हैं, ‘मुझे कास्टिंग डायरेक्टर श्रुति महाजन ने वेब सीरीज ‘बॉम्बे बेगम’ के लिए कास्ट किया था। उसी समय उन्होंने ‘चुप’ के बारे में भी बताया और हमारी फिल्म के निर्देशक आर बाल्की से जब जूम मीटिंग हुई तो उन्होंने कहा कि अभी मैं ज्यादा बात नहीं करना चाहता। मैं स्क्रिप्ट भेज रहा हूं, पहले तुम उसे पढ़ लो। मुझे तो पढ़ने का शौक पहले से ही था और एक ही बार में पूरी स्क्रिप्ट पढ़ ली। मुझे लगा कि अगर यह फिल्म मिस कर दूंगी तो बहुत बड़ी गलती हो जाएगी।’
कोरोना संक्रमण काल के दौरान ही पूजा भट्ट ने 12 साल के बाद ‘सड़क 2’ से बतौर अभिनेत्री कमबैक किया। इस फिल्म के बाद वह नेटफ्लिक्स की सीरीज ‘बॉम्बे बेगम’ में नजर आईं। पूजा भट्ट कहती है, ‘अक्सर लोग मुझसे पूछते थे कि एक्टिंग कब से फिर शुरू रही हो। मैं बोलती थी कि एक्टिंग नहीं कर रही तो क्या हुआ प्रोडक्शन तो कर ही रही हूं। लेकिन जब लोग बार बार एक्टिंग की सलाह दे रहे थे। तो, मुझे लगा कि जरूर मुझमें कोई बात रही होगी इस लिए लोग आज भी मुझे एक्टिंग में देखना चाहते है और मैं 12 साल के वनवास से अब वापस आ गई हूं। अभी मैं एक्टिंग को बहुत ही एंजॉय कर रही हूं।’
पूजा भट्ट ने कभी भी अपने आपको टिपिकल हीरोइन नहीं माना। वह कहती हैं, ‘मैं कभी भी टिपिकल हीरोइन नहीं थी। आम हीरोइन की तरह मुझे डांस करने नहीं आता था। खुलकर बातें करती थी, मेरी जिंदगी जैसी भी रही मैने उसके बारे में खुलकर बात की। इसकी वजह से मेरी आलोचना भी बहुत हुईं और प्यार भी बहुत मिला।’ पूजा भट्ट की जिंदगी में काफी उतार चढ़ाव आए हैं। वह कहती है, ‘जिंदगी में बुरा वक्त आना भी बहुत जरूरी है क्योंकि वह जिंदगी जीने के सही मायने सीखा देता है। अच्छे बुरे की पहचान होती है और आप खुद भी आत्मनिर्भर बनते हैं। जब तक जिंदगी में ठोकर नहीं लगती तब तक पता नहीं चलता कि सही रास्ते पर कैसे चलना है।’
फिल्म ‘डैडी’ पूजा भट्ट के दिल के करीब रह फिल्म है। इसमें पूजा ने एक ऐसी लड़की का किरदार निभाया जो अपने पिता की शराब की लत छुड़ा देती है। पूजा भट्ट कहती है, ‘जिंदगी का खेल देखिए। जब मैं 34 साल की थी तो मुझे शराब की लत लग गई और 46 साल की उम्र में आकर ये छूटी है। मेरा मानना है कि शराब से सिर्फ परिवार बिखरे ही हैं। लोग अपने दुख से भागना चाहते हैं और शराब पीने लगते हैं लेकिन इससे सिर्फ नुकसान ही होता है। यह बात समझने में मुझे 12 साल लग गए।’ फिल्म ‘डैडी’ की कहानी का जिक्र करते हुए पूजा भट्ट कहती है, ‘अगर कोई महिला इस तरह से अपने बच्चे को छोड़कर चली जाए तो समाज के लोग उसे डायन के नाम से बुलाएंगे। क्योंकि, हमारे समाज ने ये तय किया है कि मां मर जाएगी लेकिन बच्चों को नहीं छोड़ेगी। मगर क्या समाज ऐसी महिला को मौका देगा अगर उसे शराब की लत लग जाए और अपने बच्चे को छोड़कर चली जाए।’
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