विस्तार ट्रेन में सफर करने वाले यात्रियों के लिए अच्छी खबर है। अब चलती ट्रेन में यात्रियों को वेटिंग या आरएसी टिकट को कन्फर्म करवाने के लिए टीटीई के चक्कर नहीं काटने पड़ रहे हैं। दरअसल, रेलवे के नए हैंड-हेल्ड टर्मिनल (एचएचटी डिवाइस) के जरिए पिछले चार महीनों में हर रोज औसतन लगभग 7,000 वेटिंग टिकट वाले यात्रियों को कन्फर्म सीट प्राप्त करने की सुविधा मिली है। रेलवे के अधिकारियों ने इसके बारे में जानकारी दी।
हैंड-हेल्ड टर्मिनल-एचएचटी ऐसे करती है काम
दरअसल, रेलवे की नई डिवाइस हैंड-हेल्ड टर्मिनल-एचएचटी जोकि आईपैड के आकार में होती है, इसमें पहले से लोड की गई ट्रेनों के लिए यात्री आरक्षण चार्ट होते हैं। एचएचटी डिवाइस के जरिए पहले की तरह कागजी चार्ट से गुजरने के बजाय टिकट चेकिंग कर्मचारी बुकिंग पर रीयल-टाइम अपडेट के लिए इन उपकरणों के जरिए सीटों की जानकारी अपडेट कर सकते हैं। दरअसल, ट्रेन में मौजूद टीटीई के पास मौजूद एचएचटी डिवाइस इंटरनेट से कनेक्ट होती है। टीटीई जैसे ही किसी भी श्रेणी में खाली बर्थ मार्क करेगा। एचएचटी में दर्ज होते ही रेलवे स्टेशनों के पीआरएस और आईआरसीटीसी की वेबसाइट में दर्ज हो जाएगी। इसके साथ ही सबसे पहले स्वतः ही ट्रेन में वेटिंग या आरएसी टिकट शुरुआती नंबर के क्रम से कन्फर्म होते जाएंगे। अगर कन्फर्म होने के बाद भी बर्थ खाली रहती हैं, तो रास्ते में पड़ने वाले स्टेशनों में या ऑनलाइन ट्रेन के टिकट बुक किए जा सकते हैं। अभी तक ऐसी बर्थ खाली रहती थीं। खाली बर्थ वेटिंग या आरएसी नंबर और श्रेणी के अनुसार स्वत: ही कन्फर्म होती जाएंगी।
रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि आरएसी या वेटिंग लिस्ट वाले यात्री रियल टाइम के आधार पर खाली बर्थ की उपलब्धता के बारे में एचएचटी ले जाने वाले टीटीई से संपर्क कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि इससे चलने वाली ट्रेनों में बर्थ के आवंटन में पारदर्शिता आती है।
इतने यात्रियों को मिला है फायदा
आंकड़ों के मुताबिक, लगभग चार महीने पहले शुरू की गई रेलवे की इस योजना के तहत लगभग 1,390 ट्रेनों के टीटीई हर रोज ट्रेन में अपनी यात्रा के विभिन्न चरणों में 10,745 एचएचटी डिवाइस का प्रयोग कर रहे हैं। इसके जरिए पिछले चार महीनों में, औसतन 5,448 आरएसी यात्रियों और 2,759 प्रतीक्षा-सूची वाले यात्रियों को एचएचटी के माध्यम से हर रोज क्लियर सीट आवंटित की गई है। डेटा के मुताबिक, आरएसी या प्रतीक्षा-सूची वाले यात्रियों को बर्थ आवंटन के अलावा, लगभग 7,000 बिना प्रयोग वाली खाली बर्थ भी एचएचटी के माध्यम से पीआरएस को प्रतिदिन जारी की जा रही हैं।
रेलवे के अधिकारियों ने बताया कि अगले तीन से चार महीनों में एचएचटी डिवाइस साप्ताहिक और सप्ताह में दो बार चलने वाली लंबी दूरी की सभी ट्रेनों में उपलब्ध करा दी जाएंगी। उन्होंने आगे बताया कि एचएचटी का उपयोग डिजिटल भुगतान विकल्पों के माध्यम से यात्रियों से अतिरिक्त किराया, जुर्माना और अन्य शुल्क वसूलने के लिए भी किया जा सकता है। कोच में यात्रा कर रहे डॉक्टर और वीआईपी यात्रियों की जानकारी भी मशीन पर होगी। भविष्य में ऑनलाइन भुगतान भी इसी मशीन के माध्यम से लिया जा सकेगा।
अभी तक ऐसे टिकट चेक करते है टीटीई
मौजूदा समय अधिकांश ट्रेनों में टीटीई चार्ट लेकर टिकट की चेकिंग करते हैं। जिस बर्थ पर यात्री नहीं पहुंचता है। वह उसे मार्क कर लेते हैं। इसके बाद उक्त खाली सीट किसी वेटिंग या आरएसी को वाले को दे देते हैं। यह टीटीई पर निर्भर करता है। कई बार टीटी कंफर्म करने करने के नाम पर सौदेबाजी कर लेते हैं। रेलवे इस तरह की व्यवस्था और भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए टीटीई को रेलवे एचएचटी डिवाइस सौंप रहा है। रेलवे मंत्रालय के अनुसार सामान्य दिनों में प्रतिदिन 12.5 लाख रिजर्वेशन होते हैं। जब सभी मेल, एक्सप्रेस ट्रेनों में एचएचटी डिवाइस से टिकटों की जांच की जाएगी तो कन्फर्म होने वाले टिकटों का आंकड़ा बढ़ जाएगा।
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