Press "Enter" to skip to content

MP News: PM मोदी आज चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे, 70 साल बाद देश की धरती पर दौड़ेंगे चीते, ऐसा रहेगा कार्यक्रम

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: आनंद पवार Updated Sat, 17 Sep 2022 01:14 AM IST

नामीबिया से चीतों का सफर भारत के लिए शुरू हो चुका है। शनिवार सुबह 6 बजे चीते देश की धरती पर लैंड होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सुबह करीब 11 बजे चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे।

मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क में जल्द ही देशवासियों को अफ्रीकी चीतों का दीदार करने का अवसर मिलेगा। चीतों का नामीबिया से भारत के लिए सफर शुरू हो चुका है। चीते भारत के लिए उड़ान भर चुके हैं। शनिवार सुबह 6 बजे तक ग्वालियर के महाराजपुरा एयरवेज पर उतरेंगे। यहां विमान से चीतों को हेलीकॉप्टर में 30 मिनट में शिफ्ट किया जाएगा। इसके बाद ये चीते कूनो अभयारण्य के लिए उड़ान भरेंगे। आधे घंटे में चीते कूनो पहुंच जाएंगे। यहां प्रधानमंत्री करीब 11 बजे 3 चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे। इनमें दो नर और एक मादा चीता है। नर दोनों चीतें सगे भाई हैं। इन चीतों को यात्रा के दौरान खाली पेट रखा जाएगा।   

 

यह है प्रधानमंत्री का मिनट टू मिनट कार्यक्रम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी ग्वालियर एयरवेज पर 9:40 पर पहुंचेंगे और 9:45 पर पीएम मोदी सेना के हेलीकॉप्टर से कूनो अभयारण्य के लिए रवाना होंगे। इसको लेकर महाराष्ट्र एयरवेज पर हाई सिक्योरिट का इंतजाम किया गया है। एसपीजी सहित तमाम पुलिस फोर्स मौजूद रहेगा। प्रधानमंत्री अपने जन्मदिन पर कूनो में चीतों को छोड़ेंगे।

9:40 पर सुबह विशेष विमान से ग्वालियर आगमन होगा। 9:45 बजे हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क के लिए रवाना होंगे। 10:45 से 11:15 बजे चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे। 11:30 बजे हेलीकॉप्टर से करहाल रवाना होंगे। 11:50 बजे करहाल पहुंचेंगे। 12:00 से 1:00 बजे तक महिला स्व सहायता समूह सम्मेलन में शामिल होंगे। 1:15 बजे तक करहाल से हेलीकॉप्टर से ग्वालियर रवाना होंगे। 2:15 बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचेंगे। 2:20 बजे दोपहर को ग्वालियर से रवाना होंगे। पीएम तीन चीतों को बाड़े में छोड़ेंगे 
वन विभाग के अधिकारी जेएस चौहान ने बताया कि ग्वालियर से हेलीकॉप्टर से लाने के बाद चीतों को छोटे-छोटे क्वारंटीन इनक्लोजर में लेकर जाया जाएगा। प्रधानमंत्री तीन चीतों को छोड़ेंगे। इसके बाद बाकी के चीतों को बाड़े में छोड़ा जाएगा। एक महीने क्वारंटीन के बाद बड़े बाढ़े में छोड़ा जाएगा। यहां दो से तीन महीने रखने के बाद उनको जंगल में छोड़ दिया जाएगा। पालपुर में एक छोटा वेटनरी अस्पताल होगा। जहां तीन वेटनरी डॉक्टर उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए मौजूद रहेंगे। चौहान ने बताया कि चीतों के साथ साउथ अफ्रीका के भी विशेषज्ञ आ रहे हैं। उनकी मार्गदर्शन में चीतों की देखरेख की जाएगी।

24 घंटे की जाएगी चीतों की निगरानी 
चौहान ने बताया कि बाड़े आसपास मचान बनाए गए हैं। यहां पर रोस्टर के हिसाब से ड्यूटी लगाई जाएगी। जो 24 घंटे चीतों की मॉनीटरिंग करेंगे। इसमें फारेस्ट गार्डन, रेंज अफसर, वेटनरी डॉक्टर की अलग-अलग ड्यूटी है। वेटनरी डॉक्टर उसकी हेल्थ को देखेगा। चीतों नॉर्मल खाना-खा रहा है या नहीं। उनकी डेली रूटिन को बीट गार्ड देखते रहेंगे। चौहान ने बताया कि शिकारियों से बचाने के लिए 8-10 वर्ग किमी पर एक पेट्रोलिंग कैम्प है। जिसमें गार्ड और उनके सहायक रहते हैं। इसके अलावा एक्स आर्मी के जवानों को भी लिया हुआ है। ताकि अवैध गतिविधियों को रोका जा सके।
 

एनिमल ट्रेकर डॉग्स तैनात
कूना पालपुर में एनिमल ट्रेकर डॉग्स को भी तैनात किया गया है। वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन के लिए वाइल्ड लाइफ एनिमल का कंजर्वेशन डॉग्स यूनिट की तैनाती हुई है। इन डॉग्स की एनिमल के गुम होने या मेडिकल इमरजेंसी में ढूंढने में मदद ली जाती है।

181 चीतल कूनो पालपुर में शिफ्ट किए गए 
चीतों के बढ़े बाड़े में शिफ्ट करने के बाद उनके शिकार के लिए चीतल कूनो पालपुर में शिफ्ट किए गए हैं। यहां पर राजगढ़ जिले के नरसिंहगढ़ के चिड़ीखो अभयारण्य से चीतल भेजे गए हैं। यहां पर चीतल की संख्या बहुत ज्यादा है। इस काम में वन विभाग की एक टीम पिछले एक महीने से काम कर रही है। 
 

748 वर्ग किमी में फैला है कूनो-पालपुर पार्क
कूनो-पालपुर नेशनल पार्क 748 वर्ग किलोमीटर में फैला है। यह छह हजार 800 वर्ग किमी क्षेत्र में फैले खुले वन क्षेत्र का हिस्सा है। चार से पांच वर्ग किमी के बाड़े को चारों तरफ से फेंसिंग से कवर किया गया है। चीता का सिर छोटा, शरीर पतला और टांगे लंबी होती हैं। यह उसे दौड़ने में रफ्तार पकड़ने में मददगार होती है। चीता 120 किमी की रफ्तार से दौड़ सकता है। भारत 8 चीते लाए जा रहे हैं। इसमें तीन नर और पांच मादा हैं। इनकी उम्र ढाई से साढ़े पांच साल के बीच की बताई जा रही है। 
 
1948 में आखिरी बार देखा गया था चीता
भारत में आखिरी बार चीता 1948 में देखा गया था। इसी वर्ष कोरिया राजा रामनुज सिंहदेव ने तीन चीतों का शिकार किया था। इसके बाद भारत में चीतों को नहीं देखा गया। इसके बाद 1952 में भारत में चीता प्रजाति की भारत में समाप्ति मानी गई। कूनो नेशनल पार्क में चीते को बसाने के लिए 25 गांवों के ग्रामीणों और 5 तेंदुए को अपना ‘घर’ छोड़ना पड़ा है. इन 25 में से 24  गांव के ग्रामीणों को दूसरी जगह बसाया जा चुका है। 
 
 1970 में एशियन चीते लाने की हुई कोशिश
भारत सरकार ने 1970 में एशियन चीतों को ईरान से लाने का प्रयास किया गया था। इसके लिए ईरान की सरकार से बातचीत भी की गई, लेकिन यह पहल सफल नहीं हो सकी। केंद्र सरकार की वर्तमान योजना के अनुसार पांच साल में 50 चीते लाए जाएंगे। 

More from मध्य प्रदेशMore posts in मध्य प्रदेश »
More from राष्ट्रीयMore posts in राष्ट्रीय »

Be First to Comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *