पेट्रोल/डीजल के बढ़ते दामों से यदि आप परेशान हैं। तो इसके लिए सरकार को दोष देने से पहले यह जान लें कि आखिर ऐसा क्यों होता है। दरअसल, इसके पीछे का कारण इंटरनेशनल मार्केट में घटते बढ़ते कच्चे तेल के दाम हैं।
ओपेक देशों (अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, ईरान, ईराक, कुवैत, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, नाइजीरिया, लीबिया और वेनेजुएला) द्वारा कच्चे तेल के उत्पादन को नियंत्रित करने के चलते बढ़ रही हैं। ओपेक देश लगातार कच्चे तेल के प्रोडक्शन को अपने हिसाब से ज्यादा और कम कर रहे हैं। लिहाजा बढ़ती डिमांड और कम सप्लाई के चलते कच्चे तेल के दाम इंटरनेशनल मार्केट में तेजा से बढ़ रहे हैं। भारत तेल इम्पोर्ट करता है, इसलिए हमें तेल खरीदना पड़ता है, सरकार महंगे दामों पर तेल खरीदने को मजबूर है, लिहाजा इसीलिए हमें तेल महंगा पड़ रहा है।
कैसे होता है अप्रत्याशित लाभ
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार पेट्रोल-डीजल की लगातार बढ़ रही खुदरा कीमतों को कम करने के स्थाई समाधान ढूंढ रही सरकार ओएनजीसी जैसे घरेलू तेल उत्पादकों के अप्रत्याशित लाभ पर ‘कर’ लगा सकती है। यह इस तरह का कर उपकर के रूप में आरोपित किया जा सकता है और यह कच्चे तेल के भाव 70 डॉलर प्रति बैरल के ऊपर जाते ही प्रभावी हो जाएगा।
इसके तहत तेल उत्पादकों को 70 डॉलर प्रति बैरल के भाव से ऊपर की किसी भी कमाई को कर के रूप में देना होगा। अप्रत्याशित लाभ पर कर को सरकार बढ़ीं कीमतों से निपटने के लिए स्थाई समाधान के विकल्प के रूप में विचार कर रही है। ब्रिटेन और चीन जैसे देशों में इस प्रकार के कर का प्रयोग किया जा चुका है।
आपको बता दें कि भारत में पेट्रोल की कीमतों का नियंत्रण सरकार नही करती बल्कि कंपनियां करती हैं, लेकिन डीजल और केरोसिन और रसोई गैस की कीमतों पर अभी भी सरकार का ही नियंत्रण है और इस पर सरकार सब्सीडी देती है।
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