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‘भारतीय सोचते हैं कि रक्तदान से उनका व्यक्तित्व बदल सकता है’ :शोध

Wednesday, 19 June 2013 15:15 वाशिंगटन। à¤à¤• नये अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ से पता चला है कि भारतीय  उसी दानदाता से अंग पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤ªà¤£ या खून चà¥à¤¾à¤¨à¤¾ पसंद करते हैं जिसका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ या वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उनसे मिलता है ।
मिशिगन विशà¥à¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥à¤¯à¤¾à¤²à¤¯ के शोधकरà¥à¤¤à¤¾à¤“ं ने कहा कि भारत और अमेरिका में पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤°à¥‹à¤ªà¤£ करवाने वाले कà¥à¤› लोग मानते हैं कि उनका वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ या वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° उसी तरह से हो जायेगा जिस तरह का खून या अंग दान करने वाले वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿ का है ।
शोध का नेतृतà¥à¤µ करने वाले मेरेडिथ मेयर ने कहा कि लोग सोचते हैं कि वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° या वà¥à¤¯à¤•à¥à¤¤à¤¿à¤¤à¥à¤µ आशिंक रूप से खून या शरीर के अंग में गहराई तक रहता हैै। यह अधà¥à¤¯à¤¯à¤¨ भारत और अमेरिका के लोगों में कराया गया है ।
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