न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल Published by: अरविंद कुमार Updated Wed, 14 Sep 2022 11:07 PM IST
सार
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हिंदी दिवस पर देश और प्रदेश के हिंदी साहित्यकारों को सम्मान स्वरूप नमन किया। साथ ही भोपाल में स्थित रवींद्र भवन सभागम में देश-विदेश में हिंदी सेवियों को सम्मानित किया। वहीं सीएम शिवराज ने कहा, मध्यप्रदेश में हिंदी में पढ़ाए जाएंगे पाठ्यक्रम। सीएम शिवराज सम्मानित करते हुए – फोटो : Social Media
विस्तार करोड़ों लोगों की मातृभाषा हिंदी को बढ़ावा देने के लिए 14 सितंबर का दिन हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है। हिंदी भाषा का प्रयोग लगभग आधे भारत में किया जाता है। इसके अलावा कई अन्य देश भी हैं, जहां हिंदी भाषियों की संख्या अच्छी खासी है। हिंदी को अब देश से लेकर विदेशों तक में बढ़ावा दिया जाता है।
हिंदी दिवस के मौके पर मध्यप्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा, हिंदी के प्रयोग न करने और कम प्रयोग करने का कार्य एक तरह की मानसिक गुलामी का प्रतीक भी है। इस भाव को देश से बाहर निकालना आवश्यक है। हिंदी के साथ ही हमारे देश में अनेक भाषाएं हैं। इनके उपयोग के साथ ही राजभाषा में पूरा कामकाज किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, मध्यप्रदेश में हिंदी को भरपूर प्रोत्साहन दिया गया है। सहज और सरल हिंदी का उपयोग करने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए। सीएम चौहान ने हिंदी दिवस के अवसर पर रवींद्र भवन सभागम में हिंदी भाषा सम्मान अलंकरण कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने इस अवसर पर देश-विदेश के हिंदी सेवियों को सम्मानित भी किया।
सीएम ने कहा, हिंदी उपयोग करने में हमें पीछे नहीं रहना चाहिए। खुलकर हिंदी बोलें। अपने घर में भी अधिक से अधिक हिंदी का उपयोग करें। परिवार के सदस्य हिंदी बोलने में कंजूसी न करें और अंग्रेजी के शब्दों के बोझ से अपनी आत्मा को न दबाएं। उन्होंने संसद में भी अनेक सांसदों को अंग्रेजी में अपनी बात कहते देखा है। शायद वे मानते हैं कि अंग्रेजी बोलेंगे तो हमारा अलग रुतबा होगा। मध्यप्रदेश में गांधी मेडिकल कॉलेज, भोपाल में चिकित्सा की पढ़ाई इसी सत्र से हिंदी में प्रारंभ कर रहे हैं। इसके साथ ही इंजीनियरिंग और विज्ञान तकनीकी से जुड़े अन्य पाठ्यक्रमों को भी हिंदी में पढ़ाने की शुरुआत भी राज्य में की जाएगी।
सीएम शिवराज ने अटल जी का स्मरण करते हुए कहा, उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में संबोधन दिया था, जो किसी भारतीय राजनेता द्वारा प्रथम बार संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में दिया गया संबोधन था। उन्होंने हिंदी का सम्मान बढ़ाया। हम सभी को हिंदी पर गर्व करना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा भी है। विदेशी भाषा को गर्व का विषय न बनाकर हिंदी को अपनी मातृ भाषा बनाएं। हिंदी को प्रतिष्ठित करना हम सबका कर्तव्य है। हम मध्यप्रदेश में हिंदी के प्रोत्साहन के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। हिंदी दिवस मनाना कोई कर्मकांड नहीं है, बल्कि एक संकल्प है। आज हम अपने जीवन में हिंदी के प्रयोग और कामकाज में हिंदी का ही उपयोग करने का संकल्प लें।
सीएम ने कहा, हिंदी अद्भुत भाषा है। हिंदी मन है। प्राण है। आत्मा है। बिना हिंदी के भारत के भावों का प्रकटीकरण नहीं हो सकता। यह बात कचोटती है कि आज हिंदी भाषा सम्मेलन और हिंदी दिवस कार्यक्रम करने होते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवीन शिक्षा नीति में हिंदी और भारतीय भाषाओं को बढ़ावा दिया है। अनुवाद की शुद्धता पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। अक्सर विधेयकों की भाषा कोई समझ नहीं पाता। हिंदी ने कुछ भाषाओं के शब्दों को भी आत्मसात कर लिया है।
उन्होंने कहा, सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी हिंदी के प्रयोग को बढ़ाया जाए। किसी भी स्तर पर हिंदी के प्रयोग में कंजूसी की आवश्यकता नहीं है। भारत का प्राचीन इतिहास देखें तो, हमने तब वेदों की रचना कर ली थी। जब अनेक देशों में सभ्यता के सूर्य का उदय नहीं हुआ था। भारत ने वसुधैव कुटुम्बकम का विचार दिया। इसी तरह हिंदी भारत से आगे जाकर संसार के अनेक देशों में बोली जा रही है। विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में यह शामिल है। मध्यप्रदेश की धरती पर हिंदी के प्रचार के लिए गंभीरतापूर्वक लगातार प्रयास होते रहेंगे।
‘गर्व से करें हिंदी का उपयोग’
संस्कृति, पर्यटन और धार्मिक न्यास एवं धर्मस्व मंत्री उषा ठाकुर ने कहा, हम सब को गर्व से हिंदी भाषा का उपयोग करना चाहिए। हिंदी हमारी मातृ भाषा, पहचान और हमारी संस्कृति का प्राण है। हिंदी भाषा में करीब 50 लाख शब्द हैं। वर्णमाला के 52 अक्षरों के साथ हजारों पर्यायवाची शब्दों को समाहित करती हिंदी जैसी विश्व में कोई दूसरी भाषा नहीं है।
मंत्री ठाकुर ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई हिंदी में कराने के नवाचार के लिए मध्यप्रदेश की प्रशंसा की है। यह हमारे मुख्यमंत्री चौहान की हिंदी भाषा के प्रति समर्पण के भाव और उसके विकास के चिंतन का परिणाम है। ठाकुर ने कहा, कितना अच्छा हो कि अगर हम एक नवाचार यह भी करें कि सड़कों पर दिशा बताने वाले और मार्गों के नामकरण के बोर्ड, दुकानों के साइन बोर्ड और चिकित्सकों के पर्चों और दवाइयों के पैकेट आदि पर विवरण हिंदी में लिखा जाए। इससे न सिर्फ ग्रामीण जन को सुविधा होगी, बल्कि हिंदी भाषा का व्यापक प्रचार-प्रसार भी होगा। यह हिंदी को जन-जन की भाषा बनाने में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।
ये हिंदी सेवी हुए सम्मानित
कार्यक्रम में राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान से अमर उजाला वेब के संपादक जयदीप कर्णिक को साल 2019 के लिए, नई दिल्ली की ऋतम संस्था को साल 2020 के लिए सम्मानित किया गया। राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान से डॉ. अर्चना पैन्यूली, डेनमार्क को साल 2018 के लिए, डॉ. कृष्ण कुमार, बर्मिंघम को साल 2019 के लिए, रोहित कुमार हैप्पी न्यूजीलैंड को साल 2020 के लिए सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान से आनी मांतो, पेरिस को साल 2018 के लिए, डॉ. बीरसेन जागा सिंह मॉरीशस को साल 2019 के लिए और प्रो. हिदेआकि इशिदा, टोक्यो को साल 2020 के लिए सम्मानित किया गया।
राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान से साल 2019 के लिए पद्याकर धनंजय सराफ, भोपाल को और साल 2020 के लिए डॉ. संतोष चौबे, भोपाल को सम्मानित किया गया। इसी तरह राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान से डॉ. शीला कुमारी, त्रिवेंद्रम को साल 2019 के लिए और सुधीर मोता, भोपाल को साल 2020 के लिए सम्मानित किया गया। इन सभी सम्मानों के अंतर्गत प्रत्येक सम्मानित को एक-एक लाख रुपये की सम्मान राशि, सम्मान पट्टिका और शॉल-श्रीफल प्रदान किया गया। सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान हिंदी सॉफ्टवेयर और इससे जुड़े कार्यों में उत्कृष्ट योगदान के लिए, निर्मल वर्मा सम्मान विदेशों में अप्रवासी भारतीय द्वारा हिंदी के विकास में योगदान देने, फादर कामिल बुल्के सम्मान विदेशी मूल के हिंदी प्रचारकों, गुणाकर मुले सम्मान हिंदी में वैज्ञानिक और तकनीकी लेखन के लिए और हिंदी सेवा सम्मान अहिंदी भाषी लेखकों को हिंदी में सृजन के लिए प्रदान किया गया। विभिन्न सम्मानों के निर्णायकों में प्रतिष्ठित लेखक और हिंदी सेवी शामिल रहे।
कार्यक्रम में सम्मानित हिंदी सेवियों ने भी अपने विचार रखे। टोक्यो के प्रोफेसर हिदेआकि इशिदा ने कहा कि भोपाल मध्यप्रदेश में सम्मान को वे स्वयं के लिए बहुत सौभाग्यशाली मानते हैं। डॉ. संतोष चौबे ने इस क्षण को स्मरणीय बताया। पेरिस की आनी मान्तो, डेनमॉर्क की अर्चना पैन्यूली ने भी मध्यप्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की इस पहल को प्रशंसनीय बताया।
कार्यक्रम के दूसरे चरण में कवि सम्मेलन हुआ, जिसमें प्रख्यात कवि अशोक चक्रधर नई दिल्ली, सुश्री कीर्ति काले नई दिल्ली, डॉ. विनय विश्वास नई दिल्ली, विष्णु सक्सेना अलीगढ़ और मधु मोहिनी उपाध्याय नोएडा ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को आनंदित किया। संस्कृति प्रमुख सचिव शिव शेखर शुक्ला ने आभार व्यक्त किया। सम्मानित हिंदी सेवियों का प्रशस्ति वाचन संस्कृति संचालक अदिति कुमार त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम का संचालन विनय उपाध्याय ने किया।
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