आरजी कर अस्पताल में बलात्कार दुष्कर्म पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते डॉक्टर – फोटो : एएनआई (फाइल)
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पश्चिम बंगाल में एक ट्रेनी डॉक्टर के साथ कथित बलात्कार और हत्या के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन को फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने समर्थन देने का ऐलान किया है।फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन(एफएआईएमए) ने सोमवार को देशव्यापी भूख हड़ताल की घोषणा की है।
डॉक्टरों के संघ ने सोमवार को एक बैठक की। जिसमें भूख हड़ताल को बुधवार (9 अक्तूबर) से शुरू करने का फैसला लिया गया। एफएआईएमए के अध्यक्ष सुव्रंकर दत्ता ने कहा, हम पश्चिम बंगाल जूनियर डॉक्टर्स फ्रंट के साथ लगातार संपर्क में हैं और अपने रुख पर एकजुट हैं। दत्ता ने कहा कि, व्यापक विचार-विमर्श के बाद हमने पश्चिम बंगाल में अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए देशव्यापी भूख हड़ताल आयोजित करने का निर्णय लिया है।
दत्ता ने इस बात पर भी जोर दिया कि भूख हड़ताल का उद्देश्य जूनियर डॉक्टरों की आवाज को बुलंद करना है। जो बेहतर कामकाजी परिस्थितियों, बेहतर सुरक्षा प्रोटोकॉल और अन्य आवश्यक सुधारों की वकालत करते हुए हफ्तों से हड़ताल पर हैं। एफएआईएमए ने एक बयान में कहा कि डॉक्टरों के संघ ने देश भर के स्वास्थ्य कर्मियों से हड़ताल में भाग लेने का आह्वान किया है, ताकि निष्पक्ष उपचार और बेहतर स्थितियों लेकर उनकी लड़ाई को और मजूबत किया जा सके।
बंगाल सरकार ने डॉक्टरों से काम पर वापस आने की अपील की
वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल के सभी मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में चल रही 90 प्रतिशत परियोजनाएं अगले महीने तक पूरी हो जाने की उम्मीद जताते हुए मुख्य सचिव मनोज पंत ने सोमवार को आंदोलनकारी डॉक्टरों से “काम पर लौटने” का आग्रह किया।
मुख्य सचिव मनोज पंत ने दावा किया कि सीसीटीवी लगाने का 45 प्रतिशत से अधिक काम पूरा हो चुका है और 62 प्रतिशत नवीनीकरण और निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। सभी से काम पर वापस आने और लोगों को सेवाएं देने का अनुरोध कर रहा हूं।हम सभी पर्यावरण को बेहतर बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। वे (जूनियर मेडिक्स) इस बात की सराहना करेंगे कि सरकार द्वारा किए गए वादों पर बहुत अच्छी प्रगति हुई है।”
बता दें कि सात जूनियर डॉक्टर शनिवार से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर हैं और सरकार से सरकारी अस्पतालों में सुरक्षा के वादे पूरे करने की मांग कर रहे हैं। अन्य डॉक्टर 9 अगस्त से दो चरणों में लगभग 45 दिनों के ‘काम बंद’ के बाद सामान्य ड्यूटी पर लौट आए हैं।
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