तिरुपति लड्डू मामला – फोटो : पीटीआई
विस्तार Follow Us
तिरुपति लड्डू मामले को लेकर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने कहा कि कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोर्ट ने आध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू की असली तस्वीर को उजागर किया है। पूर्व मुख्यमंत्री रेड्डी ने कहा कि नायडू द्वारा नियुक्त किए गए तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (टीटीडी) के कार्यकारी अधिकारी ने कहा है कि लड्डू पसादम बनाने में कभी भी मिलावटी घी का इस्तेमाल नहीं किया गया।
रेड्डी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मुख्यमंत्री नायडू की कई टिप्पणियों पर गंभीरता से गौर किया और उन्हें फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि नायडू इस हद तक गिर गए हैं कि उनकी पार्टी के एक्स अकाउंट से ऐसा बयान आया, जिसमें कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने जगन को फटकार लगाई और उनके शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। जगन ने नायडू पर आरोप लगाया कि उनके झूठों की कोई सीमा नहीं है और इस तरह की बातें खत्म होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि नायडू को इस स्तर तक नहीं गिरना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया एसआईटी जांच का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में प्रसादम लड्डू बनाने में पशु चर्बी के इस्तेमाल के आरोपों की जांच के लिए एक नई स्वतंत्र एसआईटी गठित करने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एसआईटी में सीबीआई के दो अधिकारी, आंध्र प्रदेश पुलिस के दो अधिकारी और एफएसएसएआई का एक वरिष्ठ अधिकारी होगा। सीबीआई निदेशक एसआईटी जांच की निगरानी करेंगे।
सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर आरोप में कोई भी सच्चाई है, तो यह अस्वीकार्य है। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एसआईटी की निगरानी किसी वरिष्ठ केंद्रीय अधिकारी की ओर से की जाए, इससे लोगों में भरोसा बढ़ेगा। एसजी ने कहा कि देश भर में भक्त हैं, खाद्य सुरक्षा भी है। मुझे एसआईटी के सदस्यों के खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिली।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि एक स्वतंत्र एसआईटी बनाई जाए। इसमें सीबीआई और राज्य सरकार से दो-दो सदस्य रह सकते हैं। इसके अलाव एफएसएसएआई से भी एक सदस्य को इस समिति में रखा जाए। खाद्य पदार्थों की जांच के मामले में एफएसएसएआई शीर्ष विशेषज्ञ निकाय है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह करोड़ों लोगों की आस्था का सवाल है। ऐसे में वह नहीं चाहता कि यह राजनीतिक ड्रामा बन जाए। अगर एक स्वतंत्र निकाय होगा, तो विश्वास पैदा होगा। सर्वोच्च न्यायालय ने यह टिप्पणी करते हुए याचिका का निपटारा कर दिया कि यदि कोई बात हो तो आप जांच लंबित रहने तक फिर से न्यायालय का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
Be First to Comment