सोमदत्त शर्मा, अमर उजाला, कलायत Published by: शाहरुख खान Updated Tue, 01 Oct 2024 02:59 PM IST
हरियाणा में बागी भाजपा और कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ रहे हैं। नाराजगी और सहानुभूति दो बड़े फेक्टर हैं। जातीय समीकरण भी हावी है, जाट वोट बैंक बंटा तो कांग्रेस और भाजपा की मुशिकलें बढ़ेंगी। Haryana Election – फोटो : अमर उजाला
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विश्व को विकास का सिद्धांत देने वाले ऋषि कपिल मुनि की धरती कलायत विकास की बाट जोह रही है। हर बार नए चेहरे को मौका देने वाली इस धरती पर इस बार टूटी सड़कों के बीच उड़ती धूल की तरह ही चुनाव की तस्वीर भी धुंधली है। हां, इस बार विकास कार्यों की बजाय लिस्पिस्टक पाउडर के बयान का ज्यादा शोर है।
कलायत शहर और हलके के गांवों में समस्याओं के ढेर लगे हैं, लेकिन प्रत्याशी मुद्दों की बजाए व्यक्तिगत आरोप-प्रत्यारोप में उलझे हैं। जाट बाहुल इलाके में विकास कार्यों की बजाए जातीय समीकरण हावी हैं। यहां मुकाबला बहुकोणीय नजर आता है, अगर जाट वोट बैंक बंटा तो कांग्रेस और भाजपा दोनों के प्रत्याशियों की मुशिकलें बढ़ सकती हैं।
जाट बाहुल इलाके में प्रमुख रूप से पांच बड़े जाट चेहरों के मैदान में उतरने से मुकाबला दिलचस्प हो गया है और जाट वोट बैंक के बंटने का खतरा है। सांसद जेपी कांग्रेस की हवा और खुद के बहाए पसीने के दम पर अपने बेटे को हलके की विरासत सौंपने के लिए ताकत लगाए हुए हैं।
सरकार में साढ़े चार साल मंत्री रही कमलेश ढांडा भी विकास कार्यों के दम पर वोट मांग रही हैं, लेकिन उनको एंटी इंकमबेंसी का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन भाजपा का जमीनी स्तर पर मजबूत संगठन उनकी सबसे बड़ी ताकत है।
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