Bangladesh Violence: बांग्लादेश के राष्ट्रपति ने मोहम्मद शहाबुद्दीन ने पूर्व पीएम खालिदा जिया की जेल से तुरंत रिहाई का आदेश दिया है. पड़ोसी देश में अराजकता की स्थिति के बीच प्रधानमंत्री शेख हसीना सोमवार को एक सैन्य विमान से चुपचाप देश छोड़कर भारत रवाना हो गयीं. हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ ने प्रेस कॉन्फ्रेंस किया और अंतरिम सरकार बनाने की घोषणा की.
क्या खालिदा जिया बनेंगीं प्रधानमंत्री? शेख हसीना के इस्तीफे और बेगम खालिदा जिया की रिहाई के आदेश के बाद एक बार फिर से मुख्य विपक्षी पार्टी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी की सरकार के सत्ता में लौटने की संभावना बढ़ गई है. इसके संकेत खुद खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान ने दिए हैं.
क्यों जेल गईं थीं खालिदा जिया? बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री बेगम खालिदा जिया भ्रष्टाचार की दोषी पायी गईं थीं, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें पांच साल की सजा सुनाई थी. इसके अलावा कोर्ट ने उनके बेटे तारिक रहमान और अन्य चार को दोषी करार दिया था और 10-10 साल की सजा सुनाई थी. खालिदा जिया और उनके बेटे पर 2.52 लाख डॉलर के भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे.
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बांग्लादेश में क्यों भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों की क्या है मांग? पिछले महीने शुरू हुए ये विरोध प्रदर्शन विवादास्पद कोटा व्यवस्था के खिलाफ थे. 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वालों के परिवारों के लिए सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने वाली कोटा प्रणाली को समाप्त करने की मांग के साथ शुरू हुआ यह प्रदर्शन बाद में सरकार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गए. अबतक 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण को खत्म कर दिया था. उसके बाद भी प्रदर्शन नहीं थमा, छात्र शेख हसीना के इस्तीफे के मांग को लेकर उग्र थे.
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प्रदर्शनकारियों ने पीएम आवास पर किया कब्जा ढाका में करीब 40 हजार प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री आवास पर कब्जा कर लिया, जिसके बाद शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा. सड़कों पर उतरे उग्र प्रदर्शनकारियों ने हसीना के पिता और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान की प्रतिमा को हथौड़ों से तोड़ दिया और उनकी पार्टी के कार्यालयों में आग लगा दी. प्रदर्शनकारियों ने ढाका में कई प्रमुख स्थानों पर आगजनी की, जिसमें धानमंडी 32 स्थित बंगबंधु भवन भी शामिल है, जिसे बंगबंधु स्मारक संग्रहालय के रूप में भी जाना जाता है. यह संग्रहालय शेख मुजीबुर रहमान को समर्पित है, जिनकी 1975 में राष्ट्रपति रहने के दौरान हत्या कर दी गई थी.
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