US-India Relations: इन दिनों भारत में कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद जोर–शोर से चल रहा है. अब यह मामला अमेरिका तक पहुंच चुका है. पड़ोसी देश ने इसमें आग में घी डालने का काम किया है. बुधवार को अमेरिकी व्हाइट हाउस में एक प्रेस वार्ता के दौरान पाकिस्तान के एक पत्रकार ने अमेरिकी विदेश प्रवक्ता मैथ्यू मिलर से इस विवाद पर सवाल कर दिया. पत्रकार ने पूछा कि भारत में कांवड़ रूट में दुकानों के ऊपर नेमप्लेट लगाने के आदेश पर आपके क्या विचार हैं? मिलर ने पत्रकार को याद दिलाया की भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस फैसले पर रोक लगा दी है. यह कहते हुए मिलर ने पत्रकार की बोलती बंद कर दी कि अब यह नियम प्रभावी नहीं है और मैं भारतीय सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं.
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सभी धर्म के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता मिलनी चाहिए – मिलर अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि हमने काँवड़ यात्रा नामेप्लेट विवाद के रिपोर्टों को देखा है. हमने उन रिपोर्टों को भी देखा है कि भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने 22 जुलाई को उन नियमों का कार्यान्वयन पर अंतरिम रोक जारी की थी. इसलिए वे नियम वास्तव में प्रभावी नहीं हैं. इसके अलावा विदेश विभाग के प्रवक्ता में इस बात पर भी जोर दिया कि अमेरिका ने हमेशा से सभी धर्म के सदस्यों के लिए समान व्यवहार रखा है. उन्होंने कहा कि वह इस विषय पर भारतीय समकक्ष से भी बातचीत कर चुके हैं. अमेरिका इस विषय पर हमेशा प्रतिबद्ध रहा है कि विश्वभर में सभी धर्म के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता प्राप्त हो, अतः भारतीय सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का अमेरिका सम्मान करता है.
क्या है कांवड़ यात्रा नेमप्लेट विवाद उत्तर प्रदेश और झारखंड सरकार ने खाने पीने के सामान बेचने वाली दुकानदारों को दुकान के बाहर मालिक के नाम लिखने का निर्देश दिया था. उनका कहना था कि नेमप्लेट लगाने का निर्देश शिवभक्तों की सुविधा, उनकी आस्था और कानून व्यवस्था को कायम रखने के लिए दिया गया है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन आदेशों पर रोक लगाते हुए कहा है कि दुकानदारों द्वारा भोजन मांसाहारी या शाकाहारी है सिर्फ इसकि जानकारी दी जाए. इसके साथ ही कोर्ट ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इन निर्देशों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकारों को नोटिस भी जारी किया है.
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