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Apna Adda 16: सरफिरा के सैम का दिल छू लेने वाला फसाना, चावलों की महक से दूर मुंबई में बसाया अभिनय का आशियाना

उत्तराखंड की उत्तर प्रदेश से लगी सीमा पर बसे कस्बे किच्छा में चावल कारोबार करने वाले ठेठ मारवाड़ी परिवार में जन्मे सौरभ गोयल के खानदान में किसी का सिनेमा से दूर दूर तक कोई वास्ता नहीं रहा। लेकिन, इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद सौरभ ने अभिनय की बाकायदा पढ़ाई की। मुंबई आकर लंबा संघर्ष किया और इन दिनों फिल्म ‘सरफिरा’ में अभिनेता अक्षय कुमार के दोस्त सैम के किरदार की शोहरत का आनंद ले रहे हैं।

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वैसे तो सौरभ को उनके दादाजी ने अभिनय क्षेत्र में आने के लिए पूरा समर्थन दिया लेकिन इंजीनियरिंग के बीच जब उन्होंने घरवालों को पहली बार इसके बारे में बताया तो घरवालों की क्या प्रतिक्रिया रही, ये पूछने पर सौरभ अब भी इसे बताते हुए हिचकते हैं, “बहुत डांट पड़ी उस दिन। सवालों की बौछार हुई, जैसे कोई पिक्चर चल रही है? क्या हीरो बनना है? किसने तुम्हारा दिमाग खराब किया है? क्या करोगे? कहां से आया दिमाग में कीड़ा? वगैरह वगैरह। मैंने किसी तरह घर वालों को मनाया और दिल्ली आकर बैरी जॉन की कार्यशाला में प्रवेश ले लिया।”

इसके बाद सौरभ ने करीब दो साल सुबह नौ से शाम चार बजे तक नोएडा के अपने कॉलेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और उसके बाद दिल्ली जाकर थियेटर किया। और, फिर आ गए मुंबई। पुणे फिल्म इंस्टीट्यूट की लिखित परीक्षा भी पास कर ली, लेकिन जिस दिन वहां इंटरव्यू था, उसी दिन मुंबई के व्हिसलिंग वूड्स में आवेदन की अंतिम तिथि। कोई बताने-समझाने वाला था नहीं तो सौरभ पुणे गए ही नहीं।

सौरभ बताते हैं, “हां, वो चूक हुई मुझसे। लेकिन, यहां व्हिसलिंग वूड्स में पहले नसीरुद्दीन शाह और फिर बेंजामिन गिलानी से बहुत कुछ सीखने को मिला। लेकिन, इसके बाद संघर्ष का लंबा सिलसिला चला। लोग कहते कि न तुम अच्छे दिखते हो और न खराब, किस रोल के लिए सेलेक्ट करें, समझ ही नहीं आता।” एक बार सौरभ मुंबई छोड़कर वापस किच्छा लौट भी गए लेकिन वहां फिर मन नहीं लगा और वापस मुंबई लौट आए।

मुंबई वापसी के बारे में सौरभ बताते हैं, “मेरे भाई ने तब मेरी बहुत मदद की। उसने नकद धनराशि भी दी जो दिल्ली के एक मेट्रो स्टेशन पर ही चोरी हो गई। फिर एक दोस्त की मदद लेकर मैं मुंबई लौटा। लेकिन इस बार मुझे वापस आने पर आशुतोष गोवारिकर का शो मिल गया ‘एवरेस्ट’। यहां से मेरी पहचान बननी शुरू हुई। कास्टिंग डायरेक्टर नलिनी रत्नम ने मेरा ऑडिशन तो एक छोटे से रोल के लिया था, लेकिन ऑडिशन देखने के बाद उन्होंने मेरा रोल बदलकर लीड किरदारों में कर दिया। उस दिन मैं वाकई रो पड़ा था कि आखिरकार किसी ने तो मेरे अभिनय की गहराई समझी।”

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