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Damoh: इंद्रदेव रुठे, बारिश न होने से सूखने लगी फसलें, पारा भी 36 डिग्री पार पहुंचा, उमस और गर्मी से बेहाल

बारिश थमने की वजह से बोई गई फसल नष्ट होने के कगार पर पहुंच गई है। बारिश नहीं होने से किसानों को धान रोपण में परेशानी हो रही है। किसान अपनी फसलों को सूखने से बचाने के लिए डीजल पंप से पानी दे रहे हैं। बारिश न होने से पीली पड़ रही फसल

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दमोह जिले में बारिश न होने से लोग भीषण गर्मी से परेशान हैं और फसलें सूखने लगी हैं। अधिकतम तापमान 36 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। पिछले 20 दिनों में केवल तीन बार कुछ घंटों की बारिश हुई है, जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में मूसलाधार बारिश हो रही है। आषाढ़ का महीना सूखा निकल गया है, और सोमवार से सावन का महीना शुरू हो रहा है, जिससे बारिश की उम्मीद है।

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तेंदूखेड़ा ब्लाक में सूखने लगी फसल
दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लाक में कुछ समय पहले हल्की बारिश होने के कारण किसानों ने अपने खेतों में जुताई और बुआई का कार्य कर दिया, लेकिन अब बारिश थमने के बाद बोई गई फसल नष्ट होने की कगार पर है। क्षेत्र में बारिश नहीं होने से किसानों को धान रोपण करने में काफी परेशानी हो रही है। किसान अपनी फसलों को सूखने से बचाने के लिए डीजल पंप से पानी दे रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से तेंदूखेड़ा ब्लाक में प्रतिदिन शाम के समय बारिश का मौसम तो बनता है, लेकिन बारिश नाम मात्र की होती है। ऐसे में धान की खेती को बचाने के लिए किसानों को झमाझम बारिश का इंतजार है। यदि दो-चार दिन में बारिश नहीं होती, तो खेतों में जो धान के पौधे उगे हैं, वे भी सूखने की कगार पर पहुंच जाएंगे।

किसान की स्थिति
तेंदूखेड़ा ब्लाक में जून से अब तक केवल रिमझिम बारिश हुई है, जबकि फसलों को मूसलाधार बारिश की जरूरत है। रिमझिम बारिश किसानों के लिए पर्याप्त नहीं है। अभी तक 65 प्रतिशत से अधिक क्षेत्रफल में धान की बुआई हो चुकी है, लेकिन बारिश न होने से ज्यादातर फसल सूख रही है। पानी की कमी के कारण धान का उत्पादन प्रभावित होने की संभावना है। किसान चिंतित हैं कि जिनके पास नलकूप और अन्य सिंचाई साधन नहीं हैं, वे अपनी फसलों को बचाने में असमर्थ हैं। तेज धूप के कारण कई खेतों में दरारें आ गई हैं।

किसानों की प्रतिक्रिया
किसान सुभाष बड़कुल ने बताया कि बारिश न होने से फसल सूख रही है। 70 प्रतिशत किसानों ने धान की बुआई कर दी है, मगर बारिश नहीं हो रही है। यदि दो-चार दिन में तेज बारिश नहीं होती, तो खेतों में लगी फसलों को बड़ा नुकसान हो जाएगा।

किसान उज्जयार सिंह आदिवासी ने बताया कि अधिकांश खेतों में लगी फसलों के ऊकरा निकल आए हैं। कुछ खेतों में बोई गई फसल में धान भी हो गई है और फसलों को पानी की काफी जरूरत है। तेंदूखेड़ा ब्लाक में 15 प्रतिशत किसान केवल बारिश के पानी के भरोसे धान की फसल करते हैं। उनके पास पानी का कोई अन्य स्रोत नहीं है। ऐसे में बारिश न होने से धान की फसल पूरी तरह से खत्म हो सकती है।

बढ़ता तापमान
बारिश न होने के कारण लगातार तापमान बढ़ता जा रहा है। अधिकतम तापमान 36 डिग्री तक पहुंच गया है। उमस और गर्मी इतनी बढ़ गई है कि एसी और कूलर के बिना रहना मुश्किल हो रहा है। पिछले 20 दिनों में केवल तीन बार कुछ घंटों की बारिश हुई है, उसके बाद से बारिश थम गई है। आसमान में बादल छाने के बावजूद पानी की एक बूंद भी नहीं गिर रही है।

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