एक्सीडेंट या कॉन्सपिरेसी गोधरा – फोटो : अमर उजाला
Movie Review
एक्सीडेंट या कॉन्सपिरेसी गोधरा
कलाकार
रणवीर शौरी , मनोज जोशी , हीतू कनोडिया , देनिशा घूमरा , अक्षिता नामदेव , राजीव सुरती और गणेश यादव आदि
लेखक
एम के शिवाक्ष और वंशिका तोमर
बहुत हिम्मत, हौसला और धैर्य चाहिए इन दिनों उन फिल्मों को देखने के लिए जो देश के नए या पुराने इतिहास की बात करती हैं। रचनाकारों की रचनाधर्मिता यही कहती है कि वह अतीत, वर्तमान या भविष्य पर कोई टिप्पणी करते समय सहज, संतुलित और निरपेक्ष रहेंगे लेकिन समय भाग रहा है। और, इतनी तेजी से भाग रहा है कि चुनाव के पहले रिलीज होने के लिए बनी फिल्में भी इसके साथ कदमताल करने में पीछे छूट जा रही हैं। मैं समय हूं, जैसी ही कुछ कुछ आवाज लिए अभिनेता शरद केलकर की आवाज यहां फिल्म ‘एक्सीडेंट या कॉन्सपिरेसी गोधरा’ में बार बार समय की याद दिलाती रहती है। समय साल 2002 का है। तब घटी घटना के बाद गोधरा और गुजरात मे जो हुआ और अखबारों में जो तस्वीरें उन दिनों की छपी, उनको हू ब हू रीक्रिएट करने की कोशिश करते हुए ये फिल्म इस अस्वीकरण (डिस्क्लेमर) के साथ शुरू होती है कि ये फिल्म सच्ची घटनाओं पर आधारित होने का दावा नहीं करती है। और, खत्म वहां होती है, जहां मुसलमानों की एक भीड़, रेलवे की एक बोगी में आग लगा रही है।
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